Dungarpur : उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत ने एक बार फिर डूंगरपुर-बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत पर निशाना साधा है। कहीं कई बड़ी बातें।
Dungarpur : उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत ने एक बार फिर डूंगरपुर-बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत पर निशाना साधा है। रावत ने कहा कि बीएपी सांसद रोत कैथोलिक चर्च रांची के विचारों पर चल रहे हैं। वे पादरी वेरियर एल्विन तथा मैक्समूलर के विचारों को आगे बढ़ाकर जनजाति समाज और जनजाति संस्कृति को हानि पहुंचा रहे हैं। जनजाति संस्कृति और जनजाति समाज के नाम पर वे केवल राजनीति कर रहे हैं।
सांसद मन्नालाल रावत शनिवार को यहां सर्किट हाउस में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। सांसद मन्नालाल रावत ने कहा कि केन्द्र सरकार वक्फ संशोधन अधिनियम लाई, तब भी राजकुमार रोत ने विरोध किया और वह ओवैसी के साथ खड़े रहे। आंतकवादियों को फंडिंग करने वाले सांसद के साथ रहे। इतना ही जनजाति समाज ने उन्हें अपने हितों की रक्षा के लिए संसद भेजा है। पर, सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए कोटे में कोटा आरक्षण वाली व्यवस्था से निचले तबके के गरीब-पीड़ित जनजाति समाज का भला हो सकता है। पर, वह इस निर्णय के भी विरोध में खड़े रहे।
प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने विधानसभा में धर्मांतरण विरोधी अधिनियम लागू किया। पर, बीएपी के विधायक इस अधिनियम के भी विपक्ष में खड़े हो गए। बीएपी के नेता चाहते ही नहीं है कि हमारे जनजाति समाज के गरीब और पीड़ित वर्ग का भला हो। बीएपी नेताओं का चाल-चरित्र सबके सामने आ गया है। वार्ता दौरान भाजपा जिलाध्यक्ष अशोक पटेल, सागवाड़ा विधायक शंकरलाल डेचा, डूंगरपुर भाजपा विधानसभा प्रत्याशी बंशीलाल रोत, प्रवक्ता हर्ष शर्मा आदि मौजूद रहे।
सांसद मन्नालाल रावत ने कहा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में डूंगरपुर-रतलाम वाया बांसवाड़ा रेल परियोजना स्वीकृत की थी। पर, उसमें राज्यमद से बनवाने की बात कही थी। लेकिन, प्रदेश सरकार इतना बजट दे नहीं सकती है। इस पर मौजूदा सरकार ने जनजाति कॉरिडोर के तहत इस प्रोजेक्ट को लिया है। अब यह कार्य जल्द पूरा करवाएंगे। ताकि, डूंगरपुर-बांसवाड़ा समृद्ध होंगे। साथ ही डूंगरपुर से मुंबई रेल के लिए भी प्रयास जारी है। जल्द ही रेलवे अधिकारियों के साथ मीटिंग है। इसमें अहमदाबाद में होल्ड होने वाली ट्रेनों को उदयपुर तक लाने के लिए बात की जाएगी। इससे वागड़-मेवाड़ का दक्षिण से जुड़ाव होगा।
सांसद मन्नालाल रावत ने कहा कि वीरबाला कालीबाई के अध्याय को हटाने का कार्य हुआ है। यह बहुत गलत हुआ है और हमने कड़ी आपत्ति जताई है। कार्रवाई भी होगी। साथ ही हमने मांग की है कि आदिवासियों के अन्य महापुरुषों को भी पाठ्यक्रम में स्थान दिया जाए। साथ ही मानगढ़ धाम को लेकर जो गलत तथ्य दिए हैं उनको भी संशोधित किया जाए। मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने के साथ ही पाठ्यक्रम में आदिम एवं भारतीय संस्कृति के समावेश पर जोर दिया जा रहा है।