शिक्षा

सपनों पर लगी ब्रेक : Australia ने भारतीय छात्रों के लिए कसा शिकंजा, नई वीजा नीति से मचा हड़कंप, कितना पड़ेगा असर?

Australia ने विदेश में पढ़ाई करने की चाहत रखने वाले भारतीय छात्रों को अपने एक फैसले से बड़ा झटका दिया है। क्योंकि ऑस्ट्रेलिया ने घोषणा की है कि वह साल 2025 में अपने यहां आने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में कटौती करेगा। जिसमें छात्रों की संख्या...

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भारत देश से लाखों की संख्या में भारतीय छात्र विदेशों में पढ़ाई के लिए जाते हैं। दुनिया के अलग-अलग देशों में भारतीय छात्र पढ़ रहे हैं। मुख्यतः कनाडा, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में लाखों की संख्या में भारतीय छात्र पढ़ाई के लिए हर साल जाते हैं। इसलिए सभी देशों ने अपने हिसाब से कुछ नियम और कानून भारतीय छात्रों और साथ ही भारतीय श्रमिकों के लिए बनाये हुए हैं। जिसमें समय-समय पर बदलाव भी किया जाता है। ऐसे ही ऑस्ट्रेलिया भारतीय छात्रों और श्रमिकों के लिए नियम पहले से ज्यादा कड़े करने जा रही है।

Australia ने क्यों की सख्ती?

दरअसल, Australia ने विदेश में पढ़ाई करने की चाहत रखने वाले भारतीय छात्रों को अपने एक फैसले से बड़ा झटका दिया है। क्योंकि ऑस्ट्रेलिया ने घोषणा की है कि वह साल 2025 में अपने यहां आने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में कटौती करेगा। जिसमें छात्रों की संख्या को 2 लाख 70 हजार तक सीमित कर देगा। ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने यह फैसला ऑस्ट्रेलिया में रिकॉर्ड स्तर पर हो रहे आप्रवासन ( यानी दूसरे देश से आ रहे छात्रों या श्रमिकों) को रोकने के लिए किया गया है। वहां की सरकार का ऐसा मानना है कि इस कारण से ऑस्ट्रेलिया में कई प्रकार की दिक्कतें सामने आ रही हैं।

नई नीति के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय छात्रों को ऑस्ट्रेलिया में एंट्री लेने के लिए अंग्रेजी परीक्षाओं में उच्च रेटिंग प्राप्त करने होंगे। इसके साथ ही जो छात्र ऑस्ट्रेलिया में लंबे वक्त के लिए रहना चाहते हैं, उन्हें दूसरी बार वीजा अप्लाई करना पड़ेगा जिसका बहुत कड़ाई से जांच किया जाएगा। ऑस्ट्रेलिया के गृह मंत्री क्लेयल ओ'नील बयान दिया था कि हमारी रणनीति बढ़ती प्रवासन संख्या को वापस से सामान्य कर देगी। जिससे ऑस्ट्रेलिया में कुछ चीजें सामान्य होगी। यह फैसला ऑस्ट्रेलिया के भविष्य को सोचते हुए लिया गया है।

भारतीय छात्रों पर पड़ेगा असर


ऑस्ट्रेलिया की यह नीति भारतीय छात्रों के लिए विदेश में अध्ययन करना कठिन बना देगी। इस फैसले से सीटें सीमित हो जाएंगी। साथ ही प्रतिस्पर्धा और लागत बढ़ेगी जिस कारण से छात्रों के लिए अपने शिक्षा के सपनों को पूरा करना ज्यादा कठिन हो जाएगा।

Updated on:
17 Sept 2024 06:30 pm
Published on:
17 Sept 2024 06:29 pm
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