Bihar Election Exit Poll 2025: जानिए एग्जिट पोल क्या होता है, इसकी शुरुआत कब और कहां से हुई थी। समझिए कैसे तय होता है जनता का मूड और एग्जिट पोल कितना सटीक होता है।
Bihar Election Exit Poll: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दोनों चरणों के मतदान खत्म हो चुके हैं। अब सबकी निगाहें एग्जिट पोल पर तिकी हैं। बिहार का अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा, किसके पक्ष में झुका है जनता का मूड? इसका अंदाजा लगाने के लिए टीवी चैनल और सर्वे एजेंसियां अपने-अपने एग्जिट पोल के नतीजे जारी कर दी हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एग्जिट पोल आखिर होता क्या है और इसकी शुरुआत कहां से हुई थी? चलिए डिटेल में जानते हैं।
एग्जिट पोल दरअसल एक सर्वे होता है जो वोटिंग खत्म होने के तुरंत बाद किया जाता है। इसमें पत्रकार या सर्वे एजेंसियां उन मतदाताओं से बातचीत करती हैं जिन्होंने अभी-अभी वोट डाला होता है। उनसे यह पूछा जाता है कि उन्होंने किस पार्टी या उम्मीदवार को वोट दिया। इन जवाबों के आधार पर एक अनुमान तैयार किया जाता है कि कौन-सी पार्टी जीत सकती है और चुनाव के संभावित नतीजे क्या हो सकते हैं।
ध्यान रहे, एग्जिट पोल अंतिम नतीजे नहीं होते बल्कि यह सिर्फ जनता के मूड का आकलन होता है। असली फैसला तो मतगणना के दिन ही होता है जब ईवीएम से वोट गिने जाते हैं।
एग्जिट पोल की शुरुआत संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई थी। साल 1967 में अमेरिकी समाजशास्त्री वॉरेन मिटोफ्सकी (Warren Mitofsky) ने पहली बार इसे एक प्रयोग के रूप में किया था। बाद में 1972 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में इसे बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया और इसके नतीजे काफी सटीक साबित हुए। इसके बाद ब्रिटेन, जर्मनी और भारत जैसे कई देशों ने भी इस पद्धति को अपनाया और तब से यही चला आ रहा है।
भारत में एग्जिट पोल की शुरुआत 1996 के लोकसभा चुनाव के दौरान हुई थी। उस समय दूरदर्शन और कुछ निजी चैनलों ने मिलकर पहली बार एग्जिट पोल के नतीजे प्रसारित किए थे। इसके बाद हर बड़े चुनाव, चाहे वह लोकसभा का हो या विधानसभा का, एग्जिट पोल भारतीय चुनाव प्रक्रिया का एक अहम हिस्सा बन गया है।
एग्जिट पोल चुनाव नतीजों से पहले जनता की नब्ज मापने का तरीका है। इससे यह पता चलता है कि कौन-सी पार्टी या उम्मीदवार जनता के बीच लोकप्रिय रहा और किस मुद्दे पर वोट पड़े। हालांकि कई बार एग्जिट पोल के नतीजे वास्तविक परिणामों से अलग भी होते हैं फिर भी यह आम लोगों और राजनीतिक विश्लेषकों के लिए रुझान समझने का एक अहम जरिया माना जाता है।
बिहार चुनाव 2025 के बाद एक बार फिर एग्जिट पोल सुर्खियों में हैं। हालांकि, असली तस्वीर 14 नवंबर को मतगणना के बाद ही साफ होगी लेकिन एग्जिट पोल से जनता के मूड और चुनावी समीकरणों की झलक जरूर मिल जाती है।