शिक्षा

Dr Radhakrishnan Education : 16 की उम्र में हुए ग्रेजुएट, इतने थे पढ़े-लिखे, राष्ट्रपति बनने से पहले जानिए क्या करते थे

Dr S Radhakrishnan: 5 सितंबर को हर साल डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि राधाकृष्णन जी कितने पढ़े-लिखे थे। चलिए आज उनकी शिक्षा के बारे में जानते हैं।

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Sep 05, 2025
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन कितने पढ़े-लिखे थे। (Image Source: Free Pik)

Dr S Radhakrishnan Educational Qualification: हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज के दिन भारत के दूसरे राष्ट्रपति और एक महान शिक्षक डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जनमदिन को लोग टीचर्स डे के रूप में मनाते हैं। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने उस जमाने में 8 से भी ज्यादा डिग्रियां हासिल करके इतिहास ही रच दिया, जब किसी के लिए शिक्षा हासिल करना बड़े संघर्ष की बात होती थी।

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डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का शुरूआती जीवन (Early Life Of Dr Sarvepalli Radhakrishnan)

राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को आंध्र प्रदेश के एक छोटे से शहर में हुआ था। वे एक विद्वान, दार्शनिक और राजनेता थे, जिनके प्रभाव ने भारत के शैक्षिक और राजनीतिक परिदृश्य पर गहरा प्रभाव डाला। वह तेलुगू भाषी, ब्राह्मण परिवार से थे। उनके पिता सर्वपल्ली वीरास्वामी एक स्थानीय जमींदार के अधीन राजस्व अधिकारी थे। उनके पिता चाहते थे कि वो इंग्लिश न पढ़कर पूजारी बनें, लेकिन वो पढ़ना चाहते थे।

कितने पढ़े-लिखे थे सर्वपल्ली राधाकृष्णन (How Educated Was Sarvepalli Radhakrishnan)

उन्होंने अपनी शुरूआती पढ़ाई Tirutani के प्राइमरी बोर्ड हाई स्कूल से की थी। इसके बाद 1896 में वो तिरुपति के Hermansburg Evangelical Lutheran Mission School चले गए। हायर एजुकेशन के लिए वो 17 साल की उम्र में मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज चले गए। 1906 में वहीं से फिलॉसफी में मास्टर डिग्री ली। आपको जानकर हैरानी होगी कि सर्वपल्ली राधाकृष्णन के पास 8 डिग्रियां थीं। इसमें एमए (M.A) से लेकर डीलिट (D. Litt. (Honorary)), एलएलडी (LL.D), डीसीएल (D.C.L.), लिटडी (Litt. D.), डीएल (D.L.), एफआरएसएल (F.R.S.L.), एफबीए (F.B.A.) जैसी डिग्रियां शामिल हैं।

राष्ट्रपति बनने से पहले शिक्षा के क्षेत्र में योगदान (Contribution In Education Before Becoming President)

शिक्षा के क्षेत्र में राधाकृष्णनशिक्षकों और बच्चों के बीच भी बेहद मशहूर थे। राष्ट्रपति बनने से पहले वो मैसूर यूनिवर्सिटी में फिलॉसफी के प्रोफेसर के रूप में काम करते थे। इसके बाद वो कलकत्ता यूनिवर्सिटी में फिलॉसफी के प्रोफेसर बने। 1929 में उन्हें मैनचेस्टर कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में खाली पद पर बुलाया गया। उन्हें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स को लेक्चर देने का मौका मिला। इसके बाद 1931 से 1936 तक वो आंध्र यूनिवर्सिटी के वीसी रहे। 1939 में पंडित मदन मोहन मालवीय ने उन्हें उनके बाद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति के पद के लिए बुलाया। 1952 में डॉ राधाकृष्णन को भारत के उप-राष्ट्रपति पद के लिए चुना गया। और फिर 1962 में वो देश के दूसरे राष्ट्रपति बने।

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