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India’s First Engineer: भारत की पहली महिला इंजीनियर और पुरुष इंजीनियर कौन थे और कहां से किए थे पढ़ाई?

Engineers Day 2025 पर जानिए भारत के पहले पुरुष और महिला इंजीनियर कौन थे, उन्होंने कहां से पढ़ाई-लिखाई की, पढ़ें पूरी जानकरी।

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Sep 15, 2025
Engineers Day 2025: भारत की पहली महिला इंजीनियर और पुरुष इंजीनियर कौन थे? (Image: Wikipedia)

Engineers Day 2025: 15 सितंबर को भारत में इंजीनियर्स डे के रूप में मनाया जाता है। यह दिन उन सभी इंजीनियरों को सम्मान देने और उनके योगदान को याद करने के लिए समर्पित है, जिन्होंने अपने ज्ञान, मेहनत और क्रिएटिविटी से देश के विकास में अहम भूमिका निभाई है। यह केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि उन लोगों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है जिन्होंने हमारे जीवन को आसान, सुरक्षित और आधुनिक बनाने में तकनीकी और नवाचार के जरिए योगदान दिया है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि इंजीनियर्स डे मनाने की शुरुआत कैसे हुई, और भारत की पहली महिला और पुरुष इंजीनियर कौन थे? आइए जानते हैं उनके जीवन, शिक्षा और उन उपलब्धियों के बारे में।

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इंजीनियर्स डे की शुरुआत

इंजीनियर्स डे की शुरुआत 1968 में हुई थी। यह दिन विशेष रूप से भारत के महान इंजीनियर और मैसूर (अब कर्नाटक) के दीवान सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। उन्हें आधुनिक भारत का 'इंजीनियरों का पिता' कहा जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य इंजीनियरों के योगदान को सम्मान देना और युवा पीढ़ी को विज्ञान, तकनीक और नवाचार के क्षेत्र में प्रेरित करना है।

भारत के पहले पुरुष इंजीनियर: सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया

सर विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर 1861 को कर्नाटक के मुद्देनाहल्ली (Muddenahalli) गांव में हुआ था। उनके बचपन में ही पिता का निधन हो गया था। इसके बावजूद उन्होंने कठिन परिस्थितियों को कभी अपनी पढ़ाई में बाधा बनने नहीं दिया और शिक्षा के प्रति अपनी गहरी रुचि और लगन बनाए रखी।

सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की पढाई कहां से हुई?

सर एम. विश्वेश्वरैया ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव मुद्देनाहल्ली और चिक्काबल्लापुर में पूरी की। इसके बाद उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से बैचलर ऑफ साइंस (BSc) की डिग्री प्राप्त की। इंजीनियरिंग की पढ़ाई उन्होंने पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पुणे (उस समय यह बॉम्बे विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ साइंस के तहत था) से पूरी की और सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा (DCE) हासिल किया। इसी समय से उन्होंने पूरी तरह से इंजीनियरिंग के क्षेत्र को अपना जीवन बना लिया।

सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के प्रमुख योगदान?

  • मैसूर में कृष्णराजसागर बांध का निर्माण करवाया। पुणे के खड़कवासला जलाशय में 'ब्लॉक सिस्टम' आधारित सिंचाई परियोजना बनवाई।
  • मैसूर राज्य में उन्होंने कई महत्वपूर्ण उद्योगों की स्थापना की, जिनमें सैंडल ऑयल फैक्ट्री, साबुन और मेटल्स फैक्ट्री शामिल हैं। इसके साथ ही भद्रावती में आयरन और स्टील वर्क्स की स्थापना कर उन्होंने राज्य के औद्योगिक विकास में भी अहम योगदान दिया।
  • इसके अलावा, बेंगलुरु में उन्होंने सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की जो शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए बाद में उनके नाम से Visvesvaraya College of Engineering के रूप में जाना जाने लगा।
  • उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें 1915 में ब्रिटिश सरकार से KCIE और 1955 में भारत सरकार की तरफ से भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

भारत की पहली महिला इंजीनियर: आय्यालासोमयजुला ललिता

भारत की पहली महिला इंजीनियर आय्यालासोमयजुला ललिता थीं। उनका जन्म 27 अगस्त 1919 को चेन्नई में हुआ था। उन्होंने कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, गुंडी (CEG), मद्रास विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल किया था।

ललिता ने अपने पेशेवर करियर की शुरुआत जमालपुर रेलवे वर्कशॉप में प्रशिक्षण लेकर की, जहां उन्होंने व्यावहारिक अनुभव हासिल किया और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपने कौशल को और निखारा। 1953 में वे लंदन के इंस्टीट्यूशन ऑफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर्स (IEE) की सदस्य बनीं। 1964 में न्यूयॉर्क में आयोजित महिला इंजीनियरों और वैज्ञानिकों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया। उनकी मेहनत और साहस ने यह साबित कर दिया कि महिलाएं भी इंजीनियरिंग के क्षेत्र में पुरुषों के बराबर योगदान दे सकती हैं।

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