Child education cost survey: NSS ने हाल ही में एक सर्वे किया है, जिसमें ग्रामीण और शहरी छात्रों की शिक्षा के कुल खर्च में एक बड़ा अंतर देखा गया है। आंकड़े बताते हैं कि शहरी परिवारों पर वित्तीय बोझ ज्यादा है।
Rising Cost of Schooling: भारत में स्कूली शिक्षा पर खर्च पर हाल ही में एक सर्वे किया गया। इस सर्वे में ग्रामीण और शहरी परिवारों के एजुकेशन कॉस्ट में महत्वपूर्ण अंतर पाया गया है। National Sample Survey (NSS) ने शिक्षा पर Comprehensive Modular Survey (सीएमएस) किया। इसमें अप्रैल और जून 2025 के बीच घरेलू खर्च की जांच करते हुए, पूरे भारत में 52,085 परिवारों और 57,742 छात्रों को शामिल किया गया। आइए जानते हैं क्या कहते हैं आकड़े।
इस सर्वे में सामने आया कि ग्रामीण छात्र, जो सरकारी स्कूलों पर ज्यादा निर्भर हैं, वो शहरी छात्रों की तुलना में शिक्षा पर काफी कम खर्च करते हैं। सरकारी स्कूल आज भी भारत की शिक्षा प्रणाली के अहम आधार हैं। यहां, कुल छात्र नामांकन का 55.9% इन्हीं स्कूलों में है।
सरकारी स्कूलों में प्रति छात्र औसत सालाना घरेलू खर्च 2,863 रुपये है। गैर-सरकारी स्कूलों में ये राशि तेजी से बढ़कर 25,002 रुपये हो गई है। सभी स्कूलों में खर्च का सबसे बड़ा हिस्सा कोर्स फीस है, जो देश भर में प्रति छात्र औसतन 7,111 रुपये है। इसके बाद किताबों और स्टेशनरी पर 2,002 रुपये खर्च होते हैं। इस सर्वे से ये साफ होता है कि शहरी परिवारों पर वित्तीय बोझ अधिक होता है, वे केवल कोर्स फीस पर औसतन 15,143 रुपये खर्च करते हैं, जबकि ग्रामीण परिवार 3,979 रुपये खर्च करते हैं।
सर्वे में देखा जा सकता है कि ग्रामीण क्षेत्रों के 66% छात्र सरकारी स्कूलों में नामांकित हैं, जबकि शहरी में ये संख्या 30.1% है। इसी के साथ सरकारी स्कूलों में केवल 26.7% छात्रों ने कोर्स फीस चुकाने की सूचना दी। वहीं प्राइवेट संस्थानों में ये रेशियो काफी ज्यादा है।