JRF and SRF Difference: JRF and SRF Difference: ज्यादातर लोग JRF और SRF के बारे में कंफ्यूज रहते हैं। आइए, जानते हैं एसआरएफ क्या है और ये जेआरएफ से कितना अलग है।
JRF and SRF Difference: मेडिकल, इंजीनियरिंग, यूपीएससी के अलावा आज के समय में रिसर्च को काफी प्रतिष्ठित करियर माना जाता है। यूजीसी नेट करने के बाद छात्रों के पास रिसर्च, अकैडमिक आदि कई क्षेत्रों में करियर बनाने के ऑप्शन होते हैं। रिसर्च के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए जहां JRF पहली सीढ़ी होती है तो वहीं SRF इसका विस्तार होता है। आइए, जानते हैं कि JRF और SRF में क्या अंतर है।
JRF और SRF में ज्यादातर लोग कंफ्यूज हो जाते हैं। लोगों के लिए ये तय समझना मुश्किल होता है कि कौन सा बेहतर है। अगर आप भी दोनों के बीच कंफ्यूज हैं तो यहां दी गई जानकारी आपके काम आ सकती है-
जेआरएफ यानी कि जूनियर रिसर्च फेलोशिप। यूजीसी नेट परीक्षा में टॉप रैंक हासिल करने वाले कैंडिडेट्स का सेलेक्शन JRF के लिए होता है। जूनियर रिसर्च फेलोशिप यूजीसी की ओर से रिसर्च या पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों को दिया जाता है। इस परीक्षा का आयोजन साल में दो बार किया जाता है, एक जुलाई में और एक दिसंबर। इस परीक्षा में शामिल होने के लिए संबंधित विषय में मास्टर निग्री अनिवार्य है।
वहीं एसआरएफ जिसे सीनियर रिसर्च फेलोशिप भी कहा जाता है, जेआरएफ के बाद आता है। जब अभ्यर्थी अपनी पीएचडी के दो साल पूरी कर लेते हैं तो उन्हें एसआरएफ पर प्रमोट कर दिया जाता है। सीनियर रिसर्च फेलोशिप पाने के लिए मास्टर की डिग्री के साथ दो साल का रिसर्च अनुभव होना चाहिए।
जेआरएफ प्राप्त करने के लिए UGC NET या UGC-CSIR NET परीक्षा में पास करना जरूरी है। हालांकि, SRF के लिए ऐसी कोई परीक्षा पास करने की जरूरत नहीं है। कई संस्थान एसआरएफ-डायरेक्ट की पेशकश कर सकते हैं। वहीं दोनों की मासिक स्टाइपेंड में भी अंतर होता है और साथ ही योग्यताएं अलग-अलग होती हैं। सभी बिंदुओं पर ध्यान दें तो एसआरएफ जेआरएफ से बेहतर कहा जा सकता है। एसआरएफ उन शोधकर्ताओं के लिए एक बहुत अच्छा करियर साबित हो सकता है, जो अपनी प्रतिभा दिखाना चाहते हैं।