Education News: राजस्थान में प्रायोगिक परीक्षाओं की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए शिक्षा विभाग ने सख्त कदम उठाए हैं। वर्षों से चली आ रही मेहमाननवाजी पर रोक लगाते हुए विभाग ने नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
New Orders For Practical Exams: राजकीय और निजी विद्यालयों में प्रायोगिक परीक्षाओं में कथित तौर पर बरसों से चली आ रही मेहमान नवाजी परंपरा पर आखिरकार शिक्षा विभाग ने संज्ञान लिया है। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने इस संबंध में परिपत्र जारी कर सख्त दिशा निर्देश दिए हैं। जिनमें साफ कहा है कि परीक्षा या निरीक्षण के नाम पर किसी भी शिक्षक-परीक्षक या शैक्षिक अधिकारी, उड़नदस्ते या बाह्य परीक्षक का स्वागत, ठहराव, भोजन या किसी भी प्रकार की सुविधा देना नियमों का खुला उल्लंघन माना जाएगा और दोषियों पर कठोर कार्रवाई होगी।
विभाग के परिपत्र में यह भी स्वीकार किया गया कि प्रायोगिक परीक्षाओं के दौरान कई विद्यालयों में बाह्य परीक्षकों के लिए विशेष इंतजाम किए जाते रहे है। होटल में ठहराना, उनका सम्मान भोजन व्यवस्था और आतिथ्य के नाम पर होने वाली गतिविधियां परीक्षा की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करती रही है। अब इन सभी प्रथाओं पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है।
निदेशालय ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि प्रायोगिक परीक्षाओं में केवल सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों को ही बाह्य परीक्षक के तौर पर ड्यूटी पर लगाया जाएगा। निजी विद्यालयों के शिक्षकों की नियुक्ति किसी भी स्थिति में नहीं होगी। यह भी निर्देश दिया कि परीक्षा के दौरान कोई अनियमितता या दबाव की स्थिति बने तो परीक्षक तत्काल पुलिस थाने, जिला शिक्षा अधिकारी और बोर्ड के नियंत्रण कक्ष को सूचना देगा।
प्रायोगिक परीक्षा के दौरान स्कूल ही नहीं, कॉलेजों में भी अच्छे अंक देने के नाम पर खातिरदारी और वसूली का खेल चलता है। विद्यार्थियों से प्रायोगिक परीक्षाओं के नाम पर हजारों रुपए तक वसूल किए जाते हैं, ताकि उन्हें अच्छे नंबर मिल सकें। वसूले गए पैसों में से प्रायोगिक परीक्षक का सुविधा शुल्क निकालने के साथ ही आय के तौर पर भी जमा कर लिया जाता है।
शिक्षा विभाग ने सख्त चेतावनी दी कि यदि किसी विद्यालय का संस्था प्रधान, विषय अध्यापक या कोई अधिकारी स्वागत-मेहमान नवाजी करते पाया गया, तो केवल संबंधित कर्मचारी ही नहीं, बल्कि संस्था प्रधान को भी जिम्मेदार ठहराया जाएगा। आवश्यकता पड़ने अनुशासनात्मक कार्रवाई व दंडात्मक प्रावधान लागू होंगे। प्रायोगिक परीक्षाओं की वीडियोग्राफी भी अनिवार्य कर दी गई है।