UPSC : 48 साल के पुष्पेंद्र श्रीवास्तव की कहानी साल 1996 से शुरू होती है। साल 1996 से वे प्रतियोगी परीक्षाएं दे रहे हैं। वो मुखर्जी नगर के नेहरू विहार ...
UPSC : यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्र इस बात को मानते हैं की यह परीक्षा इतना आसान नहीं है। 4 से 5 साल इस परीक्षा को पास करने में लग जाते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं जो पिछले 20 सालों से भी ज्यादा समय से तैयारी में लगे हुए हैं। उनका फाइनल चयन अभी भी किसी नौकरी के लिए नहीं हुआ है। लेकिन उन्होंने जिद नहीं छोड़ी अभी भी तैयारी में लगे हुए हैं। इस धैर्यवान व्यक्ति का नाम है पुष्पेंद्र श्रीवास्तव। उन्होंने 73 बार Prelims, 43 बार Mains लिखा है और 8 बार इंटरव्यू तक भी पहुंचे हैं, लेकिन अब तक उनकी सफलता की कहानी नहीं लिखी गई है।
48 साल के पुष्पेंद्र श्रीवास्तव की कहानी साल 1996 से शुरू होती है। साल 1996 से वे प्रतियोगी परीक्षाएं दे रहे हैं। वो मुखर्जी नगर के नेहरू विहार में रहते हैं। उनके इस तपस्या के कारण मुखर्जी नगर का हर छात्र उन्हें जानता है। मुखर्जी नगर में सब उन्हें पुष्पेंद्र भैया के नाम से जानते हैं। पिछले तकरीबन 28 सालों से वो तैयारी कर रहे हैं, और अभी भी बिना किसी फिक्र के साहस के साथ तैयारी में लगे हुए हैं। उन्होंने अभी तक शादी भी नहीं की है। पुष्पेंद्र मुख्यतः खजुराहो, मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं।
पुष्पेंद्र श्रीवास्तव उर्फ पुष्पेंद्र भैया ने Drishti IAS के संस्थापक विकास दिव्यकीर्ति (Vikas Divyakirti) के साथ भी तैयारी किया है। इसके अलावा IPS Manoj Sharma (मनोज शर्मा) जिनके जीवन के ऊपर 12वीं नामक किताब आई थी और जिसपर फिल्म भी बनी थी। उनके साथ रहकर भी पुष्पेंद्र ने प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की है। Manoj Sharma और पुष्पेंद्र भैया साथ में एक ही कमरे में रहा करते थे। दोनों साथ में परीक्षा की तैयारी किया करते थे।
UPSC और अलग-अलग राज्यों के प्रतियोगी परीक्षाओं में उन्होंने भाग लिया है। शुरुआती दौर में जरूर राज्यों के एक-दो परीक्षाओं में उन्हें सफलता मिली। लेकिन UPSC की तयारी करने वो पहले इलाहाबाद फिर दिल्ली पहुंच गए। दिल्ली में वो एक प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाने वाले संस्थान में शिक्षक के रूप में काम कर रहे हैं। जहां उन्हें अच्छी वेतन भी मिलती है। लेकिन साथ-साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई को भी जरीमन रखा हुआ है। पुष्पेंद्र श्रीवास्तव के इस सफर पर उनका कहना है कि 'सफलता मिलना, न मिलना अलग बात है, लेकिन अभी तक हमें इस बात पर गर्व है कि हमने अपना प्रयास जारी रखा। मैंने जो किया वह मेरा अपना निर्णय है और इसमें हमारे घरवालों का भी सहयोग है। साथ ही वो यह भी जोड़ते हैं कि इसके लिए मुझे कोई अफसोस नहीं है और ना ही मुझे किसी भी तरह की सहानुभूति की जरूरत है। पुष्पेंद्र भैया का यही जज्बा है जो उन्हें बाकियों से अलग बनाता है।
यह खबर भी पढ़ें :- Schools Closed : हरियाणा में 4 और 5 तारीख को सभी स्कूल रहेंगे बंद, जानिए वजह