Laddu Gopal home : जन्माष्टमी पर विशेष रूप से श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाता है। कई लोग पूरे साल और जीवन भर भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा करते हैं। लेकिन क्या पता है कि लड्डू गोपाल को घर लाने का सही समय क्या है, जानें विधि और नियम (laddoo gopal puja niyam) ...
Laddu Gopal home: हर साल भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। जन्माष्टमी के दिन बाल रूप कृष्ण की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा सबसे ज्यादा शुभ है। कान्हा की सेवा अपने बच्चे की तरह करनी चाहिए। लड्डू गोपाल प्रसन्न होकर घर के लोगों का दुख-दर्द दूर कर देते हैं और सुख-समृद्धि धन-संपदा का वरदान देते हैं। निसंतान को श्रीकृष्ण की कृपा से संतान सुख प्राप्त होता है। आइये जानते हैं घर में लड्डू गोपाल को लाने के शुभ दिन और उनकी स्थापना का नियम..
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जन्माष्टमी पर बाल कृष्ण की पूजा की जाती है। इसलिए इस दिन घर में लड्डू गोपाल की स्थापना का सबसे सही समय है। क्योंकि इस दिन श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव होता है। इस दिन घर में नए लड्डू गोपाल लाना और उनकी पूजा करना बहुत शुभ होता है। इसके अलावा एकादशी के दिन लड्डू गोपाल को घर लाना शुभ होता है, क्योंकि ये तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है और बाल श्रीकृष्ण (लड्डू गोपाल), इन्हीं के अवतार हैं।
एकादशी के दिन लड्डू गोपाल घर लाने पर घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है। वहीं सावन भगवान शिव का प्रिय महीना है, इस समय भी अच्छे काम किए जाते हैं। सावन में लड्डू गोपाल की स्थापना घर में करने से शिवजी की कृपा मिलती है। वहीं भाद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष की अष्टमी यानी राधा अष्टमी को भी लड्डू गोपाल को घर ला सकते हैं। यह शुभ फलदायक होता है। इसके अलावा पूर्णिमा पर लड्डू गोपाल की पूजा कर सकते हैं। इस दिन उनकी स्थापना कर खीर का भोग लगाने से हर मनोकामना पूरी होती है। लक्ष्मी जी का भी आशीर्वाद मिलता है।
ये भी पढ़ेंः
काशी के पुरोहित पं शिवम तिवारी के अनुसार बाजार से लाए लड्डू गोपाल की विधि विधान से पूजा जरूरी होती है। इस लिए सबसे पहले एक साफ बड़े पात्र में लड्डू गोपाल को रखकर गंगाजल में तुलसी डालकर स्नान कराएं। फिर पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद फिर गंगाजल से लड्डू गोपाल को स्नान कराएं। फिर उन्हें नए वस्त्र पहनाएं। जन्माष्टमी के दिन उन्हें पीला, केसरिया या लाल रंग के वस्त्र पहनाएं। इसके बाद लड्डू गोपाल को मोर पंख वाला मुकुट पहनाएं। कानों में कुंडल, गले में मोतियों की माला हाथों में बाजूबंद और कमर में कमर बंद के साथ पैरों में पायल पहनाकर श्रृंगार करें।
इसके अलावा माथे पर पीला चंदन या फिर केसर या चंदन केसर का तिलक लगाएं। इसके बाद लड्डू गोपाल को फूल, माला अर्पित करें, फिर उन्हें झूले में में बैठाएं और उन्हें दूध, फल, धनिया की पंजीरी, माखन-मिश्री का भोग लगाएं। इसके बाद घी का दीपक, धूप जलाकर शंख बजाएं और श्री कृष्ण मंत्र, श्री कृष्ण चालीसा का पाठ करने के बाद अंत में आरती कर लें। साथ ही भूल चूक के लिए माफी मांगें।
पं तिवारी के अनुसार लड्डू गोपाल का ख्याल घर के बालक की तरह रखा जाता है। उनकी देखभाल में कोई भूल चूक नहीं होनी चाहिए। यदि आप जन्माष्टमी पर घर में लड्डू गोपाल स्थापित करने वाले हैं तो इन नियमों का पालन जरूर करें…
ये भी पढ़ेंः
4. यदि घर में आपने लड्डू गोपाल की स्थापना की है तो उन्हें अकेला न छोड़ें। लड्डू गोपाल की स्थापना के बाद आपके घर में हमेशा कोई न कोई व्यक्ति रहना चाहिए।
5. अगर आप किसी तीर्थ स्थल पर जा रहे हैं तो बाल गोपाल को साथ लेकर न जाएं, रास्ते में वो रूष्ट हो सकते हैं।
6. लड्डू गोपाल को रात को लोरी सुनाने के साथ-साथ दूध अर्पित करना चाहिए। उनके लिए तकिया, चद्दर और मच्छरदानी रखना चाहिए, जिससे उनकी नींद में कोई बाधा न आए।