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Rang Panchami Parampara: मनोकामना पूर्ति के लिए रंगपंचमी पर करते हैं ये काम, जानिए देश भर में कैसे मनाते हैं रंग पंचमी, क्या है परंपरा

Rang Panchami Parampara: कार्तिक कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि रंग पंचमी के रूप में मनाई जाती है। इस दिन राधा कृष्ण, महाकाल आदि की पूजा की जाती है और होली खेली जाती है। इसके अलावा रंग पंचमी को लेकर देश भर में कुछ अनूठी परंपरा प्रचलित है, आइये जानते हैं रंग पंचमी की परंपरा (mahakaleshwar Rangpanchami Tradition)

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Mar 17, 2025
Rang Panchami Parampara: रंगपंचमी की परंपरा

Mahakaleshwar Rangpanchami Tradition: रंग पंचमी से ही पंच दिवसीय होली महोत्सव का समापन होता है। इस दिन कई अनुष्ठान होते हैं तो सांस्कृतिक कार्यक्रम और होली का भी आयोजन होता है। इसके अलावा यह कहीं गेर उत्सव तो छड़ीमार होली के रूप में सेलिब्रेट की जाती है। आइये जानते हैं देश भर में प्रचलित रंग पंचमी की परंपरा (Rang Panchami Parampara)


महाकाल को ध्वज अर्पित करने से मान्यता होती है पूरी (Rang Panchami Parampara Ujjain)

मान्यता है कि रंग पंचमी पर बाबा महाकाल को ध्वज अर्पित करने और शोभायात्रा में विजय पताका के रूप में निकलने से हर मनोकामना पूरी होती है।

विजय पताका लेकर निकलने से पूर्व, महाकाल के सेनापति वीरभद्र के समक्ष उस ध्वज की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। यह एक मात्र ऐसा दिन है, जब आरती के समय महाकाल ज्योतिर्लिंग पर निरंतर सतत रंग की धारा अर्पित की जाती है।

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छत्तीसगढ़ में कुंआरी लड़िकयां पुरुषों को मारती हैं छड़ी (Rang Panchami Parampara Chhattisgarh)

छत्तीसगढ़ में भी रंग पंचमी उत्साह से मनाई जाती है। छत्तीसगढ़ के जांजगीर से 45 किमी दूरी पर स्थित पन्तोरा ग्राम में रंग पंचमी पर बरसाने की लट्ठमार होली के समान ही छड़ीमार होली का आयोजन किया जाता है।


यहां इसे धूल पंचमी भी कहा जाता है। इस दिन गांव की कुंवारी लड़कियां पारंपरिक मांदल (स्थानीय ढोल), नगाड़ों के साथ ग्राम में टोली बनाकर निकलती हैं और सभी पुरुषों को छड़ी से मारते हुए होली खेलती हैं। इसके उत्तर में उन पर पुरुषों द्वारा रंग-गुलाल की वर्षा की जाती है।

यह छड़ी मड़वारानी वन से ग्राम के पुरुषों द्वारा तोड़ कर लाई जाती है और इसमें डाल से एक ही प्रहार में टूट जाने वाली छड़ी का ही प्रयोग किया जाता है। ग्राम में स्थित मड़वारानी माता के मंदिर पर पूजा-अर्चना करने के बाद सर्वप्रथम कन्याएं यहां के देवों को प्रतीकात्मक रूप से लट्ठ मारती हैं, इसके बाद उत्सव की शुरुआत होती है।

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राजस्थान में रंग पंचमी (Rang Panchami Parampara Rajasthan)

राजस्थान में भी रंग पंचमी उत्साह के साथ मनाई जाती है। राजस्थान के जैसलमेर के महल के मंदिर में भव्य उत्सव का आयोजन होता है और लोकनृत्य का आयोजन होता है। सभी दिशाओं में रंग-गुलाल उड़ाए जाते हैं ।

कुछ क्षेत्रों में इस दिन मेला लगता है। पुष्कर में रंग पंचमी पर किसी एक व्यक्ति को वहां के राजा का रूप प्रदान कर, सवारी भी निकाली जाती है।


वहीं मेवाड़ के प्रसिद्ध कृष्णधाम चारभुजानाथ मंदिर में रंग पंचमी पर ठाकुरजी को चांदी की पिचकारी से स्वर्ण-रजत के कलश में रंग भरकर होली खेलते हुए सजाया जाता है। इस दिन ठाकुरजी को 56 भोग अर्पित किए जाते हैं और मंदिर के शिखर पर नी ध्वजा चढ़ाई जाती है।

इसके बाद मध्याह्न में स्वर्ण कलश में जल लाकर ठाकुरजी को स्नान करवाया जाता है। इसके बाद गर्भगृह से ठाकुरजी का बाल विग्रह मंदिर परिसर में लाया जाता है। पुजारियों द्वारा हरजस गायन किया जाता है और आनंद से रंगोत्सव मनाया जाता है।

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महाराष्ट्र में रंग पंचमी (Rang Panchami Parampara Maharashtra)

महाराष्ट्र में मछुआरा समुदाय विशेष रूप से रंग पंचमी मनाई जाती है, सामूहिक नृत्य किए जाते हैं और एक-दूसरे के घर जाकर शुभकामना देते हैं। मछुआरों के समुदाय में यह पर्व विवाह संबंध तय करने के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन लोग इच्छित परिवारों में विवाह प्रस्ताव भी लेकर जाते हैं।


गोवा कोंकण में रंग पंचमी (Rang Panchami Parampara Goa Konkan )

गोवा कोंकण में रंग पंचमी पर शिमगो उत्सव मनाया जाता है। । इसे शिमगा, शिग्मो, शिशिरोत्सव या शिमगोत्सव भी कहा जाता है। इस दिन पंजिम में भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है।

साहित्यिक, सांस्कृतिक और पौराणिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस अवसर पर मिठाई के साथ-साथ शगोटी नामक मांसाहारी व्यंजन बनाया जाता है।

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मथुरा वृंदावन में रंग पंचमी (Rang Panchami Parampara Vrindavan)

मथुरा वृंदावन में रंग पंचमी के दिन ही मंदिरों में आयोजित होने वाली पांच दिवसीय होली उत्सव का समापन होता है। इस दिन यहां देवालयों में श्री राधा-कृष्ण को गुलाल अर्पित करने के बाद भक्तों पर अबीर-गुलाल उड़ाया जाता है।

रंग पंचमी पर वृंदावन के श्री रंग नाथ मंदिर में गुलाल की होली का आयोजन होता है और भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है। इसमें हाथी पर सवार होकर मंदिर के सेवायतगण पूरे वृंदावन में गुलाल उड़ाते हुए निकलते हैं।

इंदर, भोपाल, मालवा में रंग पंचमी और गेर उत्सव (Rang Panchami Parampara Indore)

इंदौर, भोपाल और मालवा क्षेत्र में गेर उत्सव मनाया जाता है। नगर निगम की ओर से होली उत्सव मनाया जाता है, शोभायात्रा निकाली जाती है और सड़कों पर निकले हुरियारों पर रंग डाला जाता है। नृत्य संगीत नाटिका का आयोजन होता है।

महाकाल मंदिर में टेसू के फूलों, चंदर, केसर से निर्मित सुगंधित रंग से बाबा महाकाल के साथ इस दिन होली खेली जाती है। इसके लिए महाकाल की पूजा-अर्चना के बाद हाथी, घोड़े, ऊंट, रथ, चांदी के ध्वज और विजय पताका के साथ शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें शस्त्र कलाओं का प्रदर्शन भी किया जाता है।

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