Shri Krishna Janmashtami Vrat niyam: भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और दिनभर भजन-कीर्तन करते हैं। लेकिन पहली बार व्रत रखने जा रहे हैं तो जान लें श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत के नियम ...
janmashtami vrat kaise rakhe: जन्माष्टमी को कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्रीकृष्ण जयंती और श्री जयंती आदि नाम से पुकारते हैं। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत की तैयारी एक दिन पहले से शुरू हो जाती है। यदि पहली बार आप व्रत रखने जा रहे हैं तो पहले ही जान लें कैसे करें तैयारी …
Shri Krishna Janmashtami Vrat niyam: पुरोहितों के अनुसार एकादशी उपवास के दौरान पालन किए जाने वाले सभी नियम जन्माष्टमी उपवास के दौरान भी पालन करना चाहिए। जानें जन्माष्टमी व्रत के नियम
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अधिकांशतया श्रीकृष्ण जन्माष्टमी दो अलग-अलग दिनों पर हो जाती है। ऐसे समय पहले दिन वाली जन्माष्टमी स्मार्त गृहस्थ संप्रदाय के लोगों के लिए और दूसरे दिन वाली जन्माष्टमी वैष्णव संप्रदाय के लोगों के लिए होती है। वैष्णव संप्रदाय के लोग व्रत के लिए अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र को प्राथमिकता देते हैं और वे कभी सप्तमी तिथि के दिन जन्माष्टमी नहीं मनाते हैं। वैष्णव नियमों के अनुसार हिंदी कैलेंडर में जन्माष्टमी का दिन अष्टमी अथवा नवमी तिथि पर ही पड़ता है।
वहीं स्मार्त लोग निशिता काल (जो कि हिंदू अर्धरात्रि का समय है) को प्राथमिकता देते हैं। जिस दिन अष्टमी तिथि निशिता काल के समय व्याप्त होती है, उस दिन को प्राथमिकता दी जाती है। इन नियमों में रोहिणी नक्षत्र को सम्मिलित करने के लिए कुछ और नियम जोड़े जाते हैं। इस तरह जन्माष्टमी के दिन का अंतिम निर्धारण निशिता काल के समय, अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के शुभ संयोजन के आधार पर किया जाता है। स्मार्त नियमों के अनुसार हिंदू कैलेंडर में जन्माष्टमी का दिन हमेशा सप्तमी अथवा अष्टमी तिथि के दिन पड़ता है।