ग्रेटर नोएडा

यमुना प्राधिकरण ने रद ‌किए 16 प्लॉट आवंटन, ग्रेटर नोएडा की औद्योगिक-टॉय पार्क योजना में मिली गड़बड़ी

Yamuna Authority Action: यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) ने सेक्टर-33 में टॉय पार्क योजना में नियमों की अनदेखी और एक ही परिवार को एक से अधिक प्लॉट आवंटन के मामले में सख्त कार्रवाई की है। प्राधिकरण ने ऐसे 16 प्लॉट आवंटन रद्द कर दिए हैं जो मल्टीपल अलॉटमेंट की श्रेणी में पाए गए।

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Yamuna Authority Action: यमुना प्राधिकरण ने रद ‌किए 16 प्लॉट आवंटन, ग्रेटर नोएडा की औद्योगिक-टॉय पार्क योजना में मिली गड़बड़ी

Yamuna Authority Action: यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) ने ग्रेटर नोएडा के सेक्टर 33 की टॉय पार्क योजना में बड़ा एक्‍शन लिया है। इस योजना में गड़बड़ी सामने आने पर प्राधिकरण ने 16 आवंटियों के प्लॉट निरस्त कर दिए हैं। दरअसल, साल 2020 में यमुना प्राधिकरण ने औद्योगिक और टॉय पार्क के लिए बड़ी योजना शुरू की थी। इसके तहत ग्रेटर नोएडा के सेक्टर-29 में औद्योगिक पार्क के लिए 712 प्लॉट और सेक्टर-33 में टॉय पार्क के लिए 143 प्लॉट प्रस्तावित किए गए थे। इस योजना के तहत कुल 2785 आवेदन प्राप्त हुए थे। जिनमें से 2290 आवेदन सही पाए गए और 495 आवेदन अयोग्य घोषित किए गए।

इसके बाद 9 अक्टूबर 2020 को ड्रॉ की प्रक्रिया में 700 आवेदकों को प्लॉट आवंटित किए गए। हालांकि ड्रॉ वाले दिन ही यह जानकारी सामने आई कि एक ही परिवार के कई सदस्यों ने अलग-अलग नामों से प्लॉट आवंटन कराया है। इसमें ऐसे करीब 43 मामलों की जानकारी सामने आई। इसके बाद इन्हें जांच के दायरे में रखा गया। प्राधिकरण सूत्रों का कहना है कि इन मामलों की जांच के लिए एसीईओ की अध्यक्षता में एक सात सदस्यीय समिति गठित की गई। जिसने जांच के दौरान पाया कि 43 में से 16 प्लॉट एक ही परिवार के सदस्यों को आवंटित हो गए हैं। जो योजना की शर्तों के खिलाफ है।

यमुना प्राधिकरण ने कैसे पकड़ी गड़बड़ी?

यह गड़बड़ी केएल वेजिटेबल ऑयल प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के आवेदन से उजागर हुई। कंपनी के लिए अमित अग्रवाल ने सेक्टर-29 में 2000 वर्गमीटर का प्लॉट लिया था। जांच में सामने आया कि इस कंपनी के 6 बड़े शेयरधारकों की कुल हिस्सेदारी 90% थी और ये सभी एक अन्य कंपनी, मैसर्स रविंद्र ऑयल एंड गिनिंग मिल्स में भी साझेदार थे। यानी अलग-अलग नामों से आवेदन कर एक ही समूह ने कई प्लॉट ले लिए। यह प्राधिकरण की नीति का उल्लंघन था। इसी तरह के 15 अन्य मामले भी जांच में सामने आए।

आवंटियों की 20 फीसदी रकम काटी जाएगी

इस मामले में यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सीईओ अरुणवीर सिंह ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया ''कोरोना महामारी के दौरान वर्ष 2020 में औद्योगिक भूखंड की दो योजनाएं आईं थीं। इनमें 43 भूखंड आवंटन को जांच के घेरे में रखा गया। जांच में 16 आवंटन एक ही परिवार के सदस्यों के मिले। इन सभी आवंटन को निरस्त कर दिया है।'' अरुणवीर सिंह ने आगे बताया कि प्राधिकरण इन आवंटियों की जमा राशि में से 20 प्रतिशत काटकर बाकी रकम वापस करेगा।

इसके साथ ही यमुना प्राधिकरण के एक अधिकारी ने बताया कि कुछ आवंटियों ने काफी रकम जमा करा दी थी। चूंकि इस योजना के ब्रॉशर में ही जिक्र किया गया था कि एक परिवार के दो व्यक्ति आवेदन नहीं कर सकते। ऐसे में इनके खिलाफ कार्रवाई की गई। इसके साथ ही ये भी स्पष्ट किया गया है कि भविष्य में भी इस तरह के मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी और नियमों की अनदेखी को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इससे ईमानदार निवेशकों को न्याय मिलेगा और पारदर्शिता बनी रहेगी।

पुरानी योजना में भी मिली थीं गड़बड़ियां

यह पहली बार नहीं है जब यमुना प्राधिकरण की योजनाओं में गड़बड़ियां उजागर हुई हैं। जुलाई 2024 में प्राधिकरण की एक आवासीय योजना में भी गड़बड़ी सामने आई थी। इस योजना के तहत 361 आवासीय प्लॉटों के लिए आवेदन मांगे गए थे। इसमें दो लाख से अधिक आवेदन आए थे। योजना में 10 प्लॉटों को व्यावसायिक आरक्षण के तहत दिया जाना था। लेकिन इन प्लॉटों के लिए आवेदकों ने गलत तरीके से क्योस्क का कंपलीशन सर्टिफिकेट हासिल कर लिया, जबकि मौके पर कोई निर्माण ही नहीं हुआ था। बाद में जांच में मामला पकड़ में आने पर सभी 10 क्योस्क के कंपलीशन सर्टिफिकेट रद्द कर दिए गए और उन्हें योजना से अयोग्य करार दिया गया।

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