Automatic Chemical Agent Detector Alarm : रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (डीआरडीई) ग्वालियर की लैब में तैयार ऑटोमैटिक केमिकल एजेंट डिटेक्टर और अलार्म (एसीएडीए ) रासायनिक हमलों को नाकाम करेगा।
MP News : देश की हवा में जहरीली गैस घोलने के दुश्मनों के मंसूबे भी अब नाकाम होंगे। रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (डीआरडीई) ग्वालियर की लैब में तैयार ऑटोमैटिक केमिकल एजेंट डिटेक्टर और अलार्म (DRDE ) रासायनिक हमलों को नाकाम करेगा। डीआरडीई ने इसे करीब चार साल पहले ईजाद किया था। अब सेनाएं देश की सुरक्षा में इसका इस्तेमाल करेंगी।
थल और वायुसेना ने करीब 81 करोड़ रुपए में ऑटोमैटिक केमिकल एजेंट डिटेक्टर अलार्म की 223 यूनिट खरीदने का आर्डर निर्माता कंपनी को दिया है। अभी तक सेना इन डिटेक्टर्स को विदेश से आयात करती रही हैं। यह डिटेक्टर हवा का सैंपल लेकर विषैली गैसों और विषैले औद्योगिक रसायनों की मौके पर ही पहचान करेगा।
डीआरडीई के निदेशक मनमोहन परीडा ने कहा कि ऑटोमैटिक केमिकल एजेंट डिटेक्टर और अलार्म पूरी तरह स्वदेशी है। इस तकनीक को हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है। कई वर्ष के अनुसंधान के बाद इस उत्पाद को विकसित किया गया है।
इस डिटेक्टर को प्रयागराज महाकुंभ में तैनात किया था। यह तकनीक आयन मोबिलिटी स्पेक्ट्रोमेट्री के सिद्धांत पर काम करता है। यह स्थिर बिंदु पर उपयोग किया जाने वाला रासायनिक युद्धक अभिकारक डिटेक्टर है। इसे वाहन पर भी लगाया जा सकता है। डिटेक्टर में सेंट्रल कंट्रोल रूम से डेटा प्राप्त करने के लिए रिमोट अलार्म यूनिट होती है। महाकुंभ में रासायनिक गैसों से सुरक्षा के लिए इस डिटेक्टर को तैनात किया गया था।