Gwalior Fort: क्षत्रिय महासभा आज शुक्रवार को कलेक्टर और राज्य पुरातत्व विभाग को ज्ञापन देगी ज्ञापन, आज ही आएगी इंडिगो ग्रुप की 100 लोगों की टीम
Gwalior Fort Update: ग्वालियर के ऐतिहासिक किले को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी से शहरवासी आक्रोश में आ गए हैं। लोगों का कहना है कि ग्वालियर किला (Gwalior Fort) हमारी विरासत है, इससे छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे। शहरवासियों का कहना है कि ग्वालियर किले पर बने ऐतिहासिक स्मारक हमारी पहचान हैं और किले के निजीकरण के बाद यहां मनमाने ढंग से वसूली प्रारंभ हो जाएगी। इसके विरोध में अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा शुक्रवार को कलेक्टर और राज्य पुरातत्व विभाग को ज्ञापन देकर चेताएगी।
बता दें, भोपाल में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में पर्यटन-संस्कृति विभाग ने इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड (इंडिगो एयरलाइंस) के साथ ग्वालियर किले के लिए एमओयू किया है। वहीं इंडिगो ग्रुप के 100 लोगों की टीम शुक्रवार 7 मार्च की शाम 4 बजे ग्वालियर फोर्ट पहुंच रही है।
ग्वालियर किले पर जो स्मारक पूर्ण रूप से संरक्षित हैं और उनसे आमदनी भी हो रही है, ऐसे स्मारकों को निजी हाथ में देना ठीक नहीं रहेगा। क्योंकि उनके टिकट काफी बढ़ जाएंगे। ऐसे में आम आदमी स्मारकों को देखने से वंचित रह जाएगा और पुरातत्व महत्व भी समाप्त हो जाएगा।
-लाल बहादुर सिंह, पूर्व क्यूरेटर (संग्रहाध्यक्ष) गूजरी महल संग्रहालय
हम इस मुद्दे पर पूरी लड़ाई लड़ेंगे, किसी भी हालत में किले का निजीकरण नहीं होने देंगे। चाहे इसके लिए दिल्ली में राष्ट्रपति भवन तक क्यों ना जाना पड़े। हम हर स्तर पर इसका पुरजोर विरोध करेंगे। साथ ही दूसरे समाजों को भी इससे जोड़ेंगे। इससे पूर्व भी हमने यहां निजी होटल के निर्माण को नहीं होने दिया था।
-पूरन सिंह राणा, एडवोकेट, सचिव, जाट समाज कल्याण परिषद ग्वालियर
ग्वालियर का किला न सिर्फ शहर बल्कि प्रदेश-देश के लिए भी पुरातत्व धरोहर है। इसका निजीकरण किया जाना बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होगा। पता नहीं इस ऐतिहासिक विरासत को पूंजीपतियों के हवाले क्यों किया जा रहा है। जो लोग इस काम को करवा रहे हैं, उन्हें गरिमा का बिल्कुल भी ज्ञान नहीं है। हम शुक्रवार को इसके लिए ज्ञापन भी देंगे।
-सुनील शर्मा, कांग्रेस प्रदेश महासचिव
ग्वालियर किला हमारे ग्वालियर नहीं अपितु पूरे देश में प्रसिद्ध है, यहां हर कोई आना पसंद करता है। निजी हाथों में जाने के बाद यहां जाने के लिए अतिरिक्त पैसा देना पड़ेगा। वहीं राज्य पुरातत्व विभाग और केंद्रीय पुरातत्व विभाग इस किले का संरक्षण और देखभाल कर तो रहे हैं। निजीकरण से निश्चित तौर पर पर्यटकों की संख्या कम ही होगी।
-ज्योति अग्रवाल, संस्थापक अध्यक्ष, अग्रकुल महिला समिति
ग्वालियर किला हमारी ऐतिहासिक धरोहर है, इसका निजीकरण बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए। इसे संरक्षित रखना सरकार की जिम्मेदारी है, न कि निजी कंपनियों को सौंपना। इससे आम जनता की पहुंच और सांस्कृतिक महत्व प्रभावित हो सकता है। किले का संरक्षण सरकार खुद करे, ताकि इसकी ऐतिहासिक पहचान बनी रहे।
-श्वेता बिंदल, चेयरपर्सन, जेसीआई ग्वालियर
ग्वालियर किला हमारे शहर की शान है। जो भी ऐतिहासिक धरोहर होती हैं उनकी देखभाल व संरक्षण करना सरकार का नैतिक कर्तव्य है। निजीकरण करना कोई विकल्प नहीं है, इसलिए अनुरोध है कि निजी कंपनी को किले को देने का निर्णय वापस लिया जाए। किले का जो पुराना इतिहास है उसको यथावत रखा जाए, क्योंकि यही हमारी पहचान भी है।
-जुबैर रहमान, संस्थापक अध्यक्ष, लॉयंस क्लब दिशा