Jyotiraditya Scindia आलू किसानों के लिए नई तकनीक, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दी जानकारी
Jyotiraditya Scindia - मध्यप्रदेश में अत्याधुनिक तकनीक ने कृषि क्षेत्र में बड़ा बदलाव किया है। यहां के ग्वालियर के राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि कॉलेज में एरोपोनिक्स पद्धति से आलू के बीज तैयार किए जा रहे हैं। यह बीज पूरी तरह से वायरस-फ्री होते हैं। खास बात यह है कि एरोपोनिक्स तकनीक में पौधों के लिए मिट्टी की जरूरत ही नहीं पड़ती। जड़ें हवा में रहती हैं। इन बीजों से तैयार पौधों में पांच दर्जन आलू उग सकते हैं जबकि सामान्य पौधों में महज 5-6 आलू ही होते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक एरोपोनिक तकनीक किसानों की आमदनी में दस से बारह गुना तक बढ़ोतरी करा सकती है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया Jyotiraditya Scindia ने कृषि कॉलेज जाकर तकनीक का जायजा लिया। उन्होंने आलू उत्पादन की इस तकनीक पर ट्वीट भी किया।
मध्यप्रदेश में प्रचुर मात्रा में आलू उत्पादन होता है। इस मामले में प्रदेश देश में पांचवे स्थान पर है। विशेष रूप से मालवा-निमाड़ इलाके में आलू की खेती बड़े स्तर पर की जाती है. केवल इंदौर में ही 45 हजार हेक्टेयर में आलू की पैदावार ली जाती है। हर साल करीब 20 लाख मैट्रिक टन उत्पादन होता है। मालवा-निमाड़ के आलू से देश-विदेश की स्नैक्स कंपनियां चिप्स बना रहीं हैं। भोपाल और ग्वालियर जिले भी आलू का बड़े पैमाने पर उत्पादन हो रहा है।
आलू उत्पादक किसानों के लिए प्रदेश में नई पहल की गई है। ग्वालियर के राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में एरोपोनिक्स आधारित तकनीक से इसके बीज बनाए जा रहे हैं। एरोपोनिक विशेषज्ञों के अनुसार इस तकनीक से तैयार बीज वायरल फ्री होते हैं। इसके कारण किसानों का खाद और कीटनाशकों पर किया जानेवाला भारी खर्च बच जाता है। रोग रहित बीजों के कारण पैदावार भी जबर्दस्त होती है।
एरोपोनिक्स आधारित तकनीक में आलू की स्टेम (तने के पतले हिस्से) को पौधे के रूप में विकसित किया जाता है। इन पौधों की जड़ें हवा में रहती हैं इसलिए किसी प्रकार के वायरस, फफूंद या जीवाणुओं का संक्रमण नहीं होता। ये बीज वायरस-फ्री होने से किसानों को कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं करना पड़ता।
एरोपोनिक्स तकनीक से आलू की खेती से किसानों को बड़ा फायदा होगा। इस समय करीब एक एकड़ की आलू की खेती पर औसतन 65-70 हजार रुपए का खर्च आता है। एरोपोनिक्स तकनीक से 35 से 40 हजार रुपए ही लगेेंगे। इस प्रकार
किसानों को प्रति एकड़ 25 से 30 हजार रुपए की बचत तो तय है।
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया Jyotiraditya Scindia ने आलू बीज उत्पादन की इस प्रक्रिया का जायजा लिया। राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय जाकर उन्होंने एरोपोनिक्स आधारित आलू बीज की बारीकियां जानी। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस तकनीक से आलू बीज उत्पादन पर ट्वीट भी किया। उन्होंने अपने एक्स हेंडल पर लिखा-
राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर में एरोपोनिक्स आधारित आलू बीज उत्पादन की प्रक्रिया का नजदीकी अवलोकन किया और इस उन्नत तकनीक के माध्यम से किसानों को सशक्त बना रहे विद्यार्थियों से इसकी बारीकियाँ समझीं।
यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस तकनीक में पौधों को मिट्टी के बिना, केवल पोषक घोल की सूक्ष्म फुहारों में उगाया जाता है, जबकि उनकी जड़ें हवा में स्थिर रहती हैं। इस उन्नत दृष्टिकोण और नवाचार को देखकर गर्व होता है कि विश्वविद्यालय के छात्र नवीनतम तकनीकों का उपयोग कर हमारे अन्नदाताओं को सशक्त बनाने की निरंतर पहल कर रहे हैं।