ग्वालियर

Monsoon 2025: मानसून को लेकर मौसम विभाग की बड़ी भविष्यवाणी, औसत से 110% अधिक होगी बारिश, देखें अपडेट

Monsoon 2025: मौसम विभाग ने 2025 के दक्षिण पश्चिम मानसून का पहला पूर्वानुमान जारी किया है। इस पूर्वानुमान के अनुसार ग्वालियर चंबल संभाग में बादल खूब बरसेंगे। इस बार औसत बारिश 106 से 110 फीसदी तक हो सकती है।

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Monsoon 2025: मौसम विभाग(Meteorological Department) ने 2025 के दक्षिण पश्चिम मानसून का पहला पूर्वानुमान जारी किया है। इस पूर्वानुमान के अनुसार ग्वालियर चंबल संभाग में बादल खूब बरसेंगे। इस बार औसत बारिश 106 से 110 फीसदी तक हो सकती है। ये शहर और जिले का औसत है, उससे ज्यादा बारिश होने की संभावना है। जुलाई व अगस्त में बारिश की गति तेज होगी। मानसून का दूसरा पूर्वानुमान मई के आखिरी सप्ताह में आएगा। यदि प्रदेश की स्थिति देखी जाए तो हर हिस्से में औसत से ज्यादा बारिश होगी। इस पूर्वानुमान के बाद मानसून की सही स्थिति सामने आएगी। क्योंकि केरल में 31 मई को मानसून पहुंचता है। ग्वालियर चंबल संभाग में 25 से 26 जून के बीच आता है।

2024 में ग्वालियर चंबल संभाग में मानसून(Monsoon Forecast 2025) खूब बरसे थे। अगस्त व सितंबर में जो सिस्टम आए थे, उनकी वजह से औसत से ज्यादा बारिश हुई थी। जिला सहित अंचल में बाढ़ भी आ गई थी, जो जल संरचनाएं वर्षों से नहीं भरी थी। वह जल संरचनाएं ओवर फ्लो हो गई थी। इस बार भी वैसी ही स्थिति बन रही है। यदि अंचल के हिसाब से पिछले तीन साल की स्थिति देखी जाए तो मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही साबित हो रही है। इस बार भविष्यवाणी साबित होती है तो अंचल में कृषि व पेयजल के लिए पानी का संकट नहीं होगा।

इन कारणों से प्रभावित होता है मानसून

  • भारत के मानसून(Monsoon Forecast 2025) को अल नीनो व ला नीना प्रभावित करता है।
  • अल नीनो के दौरान भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सतह का तापमान बढ़ जाता है, जिससे व्यापारिक हवाएं कमजोर हो जाती हैं। इससे भारत में मानसून कमजोर हो जाता है, जिससे सूखे और कृषि नुकसान की संभावना बढ़ जाती है।
  • ला नीना के दौरान, भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सतह का तापमान सामान्य से कम हो जाता है, जिससे व्यापारिक हवाएं मजबूत हो जाती हैं। इससे भारत में मानसून(Monsoon 2025) मजबूत होता है, जिससे सामान्य से अधिक वर्षा होती है।
  • इस वर्ष प्रशांत महासागर में ईएनएसओ की स्थितियां व्याप्त हैं, जो ला नीना की स्थितियों के समान होती है। इस कारण अच्छी बारिश की संभावना है।
  • हिंद महासागर में आईओडी की स्थितियां मजबूत हैं। आईओडी स्थिति मजबूत होने से मानसून पर विभिन्न प्रभाव पड़ सकते हैं। सकारात्मक का मतलब है कि पूर्वी हिंद महासागर ठंडा और पश्चिमी भाग गर्म होता है, जिससे मानसून मजबूत होता है और भारत में अधिक वर्षा होती है।
Updated on:
16 Apr 2025 12:56 pm
Published on:
16 Apr 2025 12:41 pm
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