ग्वालियर

सरकारी जमीन पर नियोटेरिक बिल्डर्स का कब्जा, सरकार नींद में… यहां धड़ल्ले बिक रहे हैं प्लॉट

Gwalior News: ग्वालियर की जमीन पर एक बार फिर बिल्डर लॉबी बनाम सिस्टम की लापरवाही का खुला खेल सामने आया है। नियोटेरिक डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड (GLR Real Estate Group) ने केदारपुर की सरकारी चरनोई भूमि पर खड़ी कर दी 'ग्रीन साउथ एवेन्यूट कॉलोनी, जानें कैसे शुरू हुआ खेल...

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Gwalior News सरकारी चरनोई की जमीन पर नियोटेरिक बिल्डर का कब्जा, तान दी ग्रीन साउथ एवेन्यू कॉलोनी(फोटो: पत्रिका)

Gwalior News: शहर की चरनोई और शासकीय जमीनों को बचाने में शासन की लापरवाही का बड़ा खेल एक बार फिर उजागर हुआ है। केदारपुर की चरनोई भूमि पर नियोटेरिक डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड (जीएलआर रियल एस्टेट समूह) ने ‘ग्रीन साउथ एवेन्यू’ नाम से टाउनशिप विकसित कर दी। यह जमीन मूल रूप से शासकीय (चरनोई) थी, जिसकी पुष्टि कलेक्टर जांच में भी हो चुकी है। हैरानी की बात ये है कि मामला संज्ञान में आने के बावजूद सरकार सोई है...।

आलम ये है कि इसके बावजूद शासन ने न तो सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की और न ही सिविल सूट, नतीजा यह कि सरकारी जमीन पर बसाई गई टाउनशिप अब बिक चुकी है और बाकायदा रजिस्ट्री करवाते हुए प्लॉटों के नामांतरण भी जारी हैं। सूत्रों की मानें तो यहां खरीद फरोख्त करने वालों को कभी भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

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जानें कैसे हो गया सरकारी जमीन का निजीकरण

नियोटेरिक डेवलपर्स ने केदारपुर के सर्वे नंबर 29/3, 37/2, 38/2, 25/2, 29/4, 36/2, 37/1, 25/3, 29/1, 30/2, 31/1 और 33/2 की जमीन पर कॉलोनी विकसित की। दिसंबर 2010 में कलेक्टर ने मामले का संज्ञान लेकर जांच कराई, जिसमें यह जमीन चरनोई घोषित हुई। तभी से ये जमीन सरकारी है। बिल्डर ने साठगांठ कर यहां टाउनशिप बसाई और जनता को धोखा देते हुए प्रॉपर्टी बेची।

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पुराने अभिलेखों में जमीन सरकारी थी...

सर्वे संवत 2007 और 2008 (वर्ष 1950-51) में जमीन शासकीय दर्ज थी, लेकिन संवत 2009 (1952) में इसे निजी नामों में दर्ज कर लिया गया। खसरा रिकार्ड में हुई कांटछांट के आधार पर जमीन को दोबारा शासकीय घोषित किया गया था, परंतु बाद में संभागायुक्त के आदेश से यह फैसला पलट गया।

अब खुली री-सेल, खुलेआम बिक रहे प्लॉट

'ग्रीन साउथ एवेन्यू' टाउनशिप के प्लॉट अब री-सेल में मिल रहे हैं। रजिस्ट्री और नामांतरण के लिए रिट अपील और संभागायुक्त के पुराने आदेशों का हवाला दिया जा रहा है। महलगांव तहसीलदार शिवदत्त कटारे खुद मान रहे हैं कि नामांतरण पूर्व आदेशों के आधार पर ही किए जा रहे हैं। यानी शासन जानता है कि जमीन सरकारी है, लेकिन फिर भी उसकी बिक्री की जा रही है।

बिल्डर पर शर्तों के उल्लंघन का आरोप

बता दें कि ग्वालियरके ओहदपुर में भी नियोटेरिक कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (जीएलआर रियल एस्टेट समूह) द्वारा विकसित ईस्ट पार्क एवेन्यू टाउनशिप भी विवादों में घिर गई है। इस टाउनशिप में शहर के करोड़पतियों को सभी एनओसी दिखाकर गेटबंद कॉलोनी का सपना बेचा गया, लेकिन जब वे यहां रहने पहुंचे तो उन्हें धोखे का अहसास हुआ। टाउनशिप के बीच से दूसरी कॉलोनी का रास्ता निकाल दिया गया, जिसे लेकर रहवासियों को आंदोलन तक करना पड़ा। इस पर भी प्रशासन खामोश है, सवाल ये कि आखिर बिल्डर को शह कौन दे रहा है? कैसे बेधड़क, बेखौफ वो सरकारी जमीन को बेच पा रहा है? सूत्रों की मानें तो शासन में बैठे अफसर और मंत्रियों की शह पर बिल्डर बेखौफ है...।

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Published on:
17 Oct 2025 04:29 pm
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