MP News: तिरंगा यात्रा ने सोमवार को ग्वालियर शहर में देशभक्ति का रंग तो चढ़ाया लेकिन जोश ने सड़कों पर लंबा जाम भी लगा दिया। शहर करीब पांच घंटे तक जाम में फंसा रहा। आम लोगों के साथ भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी जाम से नहीं बचे।
MP News: तिरंगा यात्रा ने सोमवार को ग्वालियर शहर में देशभक्ति का रंग तो चढ़ाया लेकिन जोश ने सड़कों पर लंबा जाम भी लगा दिया। शहर करीब पांच घंटे तक जाम(VIP Jam) में फंसा रहा। आम लोगों के साथ भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी जाम से नहीं बचे। चेतकपुरी के पास उनका काफिला भी जाम में फंस गया। भाजपा के दिग्गज नेता को जाम से निकालने के लिए पुलिस भी पसीना पसीना हो गई। जाम की वजह से सबसे बदतर हालात गोला का मंदिर, थाटीपुर, आकाशवाणी तिराहा, स्टेशन बजरिया, एलआइसी तिराहा, फूलबाग, एजी पुल, झांसी रोड और सिटी सेंटर के रास्तों की रहीं।
यात्रा का रूट राजमाता तिराहा से कृषि विश्वविद्यालय तक नो व्हीकल जोन था। सीएम यादव भी यात्रा में शामिल थे तो पुलिस हाईअलर्ट हो गई। सीएम के दोपहर तीन बजे ग्वालियर पहुंचते ही एयरपोर्ट से लेकर राजमाता तिराहा तक रास्ते पर वाहनों की आवाजाही रोक दी। इससे गोला का मंदिर से लेकर सिटी सेंटर तक रास्ते पर दोनों तरफ सड़कों पर वाहनों की भीड़ लग गई। जहां-जहां से यात्रा निकली वहां जाम भी जम गया। महाराजागेट, दूध डेयरी तिराहा, दुल्लपुर तिराहा, मेला मैदान, इंद्रमणि नगर और परशुराम तिराहा पर लोग यात्रा निकलने और लौटने का इंतजार करते रहे। ऐसी ही स्थिति शहर में कई जगहों पर बनी रही।
जाम में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय झांसी रोड से निकलते वक्त जाम में फंस गए। उनके काफिले के पायलट ने जाम देखकर काफिला चेतकपुरी में घुमा दिया। भाजपा नेता को जाम में फंसा सुनकर पुलिस हांफती हुई चेतकपुरी पहुंची तब तक विजयवर्गीय(Kailash Vijayvargiya) का काफिला माधवनगर में जाकर जाम में उलझ गया। तमाम मशक्कत के बाद उन्हें जाम से निकाला गया।
पूर्व राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी भी जाम में फंस गए, इसलिए कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में करीब आधा घंटे तक देर से पहुंचे। उन्होंने मंच से कहा, मैं जाम में फंस गया था, वो मुख्यमंत्री की मदद के बाद ही पहुंच सका, नहीं तो शायद कार्यक्रम में पहुंच ही नहीं पाता। वहीं मुख्यमंत्री की तिरंगा यात्रा को लेकर स्कूल की छुट्टी भी पहले कर दी गई थी, जिससे बच्चों को परेशान नहीं होना पड़े।