हनुमानगढ़

Rajasthan: ‘बराती बनना है तो करना पड़ेगा रक्तदान…’, शादी के कार्ड में रख दी अनोखी शर्त, 3 बीघा जमीन बेचकर लगाए 1000+ शिविर

Blood Man Amar Singh Nayak: बड़े पुत्र धर्मपाल की शादी में उन्होंने शर्त रखी कि जो पहले रक्तदान करेगा वही बारात में शामिल होगा। शादी के कार्ड पर भी यह शर्त लिखवाई गई थी। उस दिन 114 लोगों ने रक्तदान कर बाराती बनने का हक पाया।

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अमर सिंह नायक (फोटो: सोशल मीडिया)

Monday Motivational Story: हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी क्षेत्र के श्योदानपुरा गांव निवासी अमर सिंह नायक ने जिंदगी को किताब की तरह पढ़ा और सेवा को अपना धर्म बना लिया। कागज-कलम -कलम से रिश्ता न होने के बावजूद उन्होंने ऐसा जीवन जिया कि अब उन्हें पुडुचेरी की ग्लोबल ह्यूमन पीस यूनिवर्सिटी ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया है।

अमरसिंह ने अब तक 139 बार रक्तदान किया है और अपने खर्चे पर एक हजार से अधिक रक्तदान कैम्प लगाए है। खास बात यह है कि वे हर कैम्प में साइकिल से ही पहुंचते हैं। अब तक 7 साइकिलें बदलते हुए 44 हजार किलोमीटर की यात्रा कर चुके है।

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बेचनी पड़ी तीन बीघा जमीन

खेती-बाड़ी से जुड़े अमर सिंह ने कैम्पों के खर्च और आवागमन के लिए अपनी तीन बीघा जमीन बेच दी। उन्हें कभी स्कूल जाने का मौका नहीं मिला।

सेवा के जज्बे ने ऐसा मुकाम दिला दिया कि अब विश्वविद्यालय, कॉलेज व स्कूलों में विद्यार्थी उन्हें सुनते हैं। हरियाणा, पंजाब, दिल्ली आदि में कई सम्मान मिल चुके हैं। यह टीस भी है कि अपने ही राजस्थान में सरकार ने सम्मान लायक नहीं समझा।

यूं शुरू हुआ सफर

वर्ष 1985 में एक सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने के बाद डॉक्टर की सलाह पर अमर सिंह ने रक्तदान किया। उस दिन किसी की जान बचाकर जो सुकून मिला वही उनका जीवन लक्ष्य बन गया।

कैंप लगाकर 57 यूनिट करवाया रक्तदान

अपनी माता बाधो देवी के निधन पर अमर सिंह ने मृत्युभोज नहीं किया। 5 अगस्त 2011 को रस्म पगड़ी के दिन कैंप लगाकर 57 यूनिट रक्तदान करवाया।

रक्तदाता ही बने बाराती

23 फरवरी 2007 को बड़े पुत्र धर्मपाल की शादी में उन्होंने शर्त रखी कि जो पहले रक्तदान करेगा वही बारात में शामिल होगा। शादी के कार्ड पर भी यह शर्त लिखवाई गई थी। उस दिन 114 लोगों ने रक्तदान कर बाराती बनने का हक पाया। स्थानीय लोगों ने बताया कि शादी, पगड़ी रस्म जैसे पारंपरिक अवसरों को भी अमरसिंह ने जीवनदान के पर्व में बदला। यह समाज को एक नई दिशा देता है।

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Published on:
27 Oct 2025 10:12 am
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