Ganesh Visarjan: 75 साल पहले विसर्जन से बची गणेशजी की प्रतिमा आज भक्तों की अटूट आस्था का प्रतीक है। नीम के पेड़ तले शुरू हुई पूजा अब भव्य मंदिर का रूप ले चुकी है। (mp news)
mp news:हरदा के पंढरीनाथ मंदिर के सामने स्थित श्री सिद्ध गणनायक मंदिर (Shri Siddh Gananayak temple) प्राचीन होने के साथ भक्तों की आस्था का विशेष केंद्र है। करीब 75 साल पहले यहां मढिया में विराजित मूर्ति को विसर्जन के लिए ले जाया जा रहा था, जिसे मंदिर से जुड़े समाजसेवी लेखराम पांडे ने रोका। उन्होंने भगवान गणेश की सेवा की पूरी जिम्मेदारी ली। 2005 में भतीजे दिलीप पांडे ने इसे मंदिर का स्वरूप देकर अपना विशेष योगदान दिया। गुजरते समय के साथ यहां आने वाले भक्तों की संख्या भी बढ़ने लगी।
यहां गणेशोत्सव व अन्य मांगलिक व शुभ कार्यों की शुरुआत से पहले पूजन के लिए लोग आते हैं। मंदिर समिति से जुड़े दिलीप पांडे ने बताया कि मंदिर से पहले नीम के पेड के नीचे गणेश भगवान की मूर्ति एक मढिया में रखी थी। मंदिर के पास में उनकी दुकान की सारी व्यवस्था उनके काकाजी लेखराम पांडे संभालते थे। मढिया में रखी मूर्ति कुछ लोग विसर्जित करने नेमावर ले जाने लगे। तब उनके काकाजी ने वहीं स्थापित करने को कहा। वहां की सेवा व व्यवस्था में हर संभव सहयोग की बात कही। जिससे अन्य लोग राजी हो गए। (ganesh visarjan 2025)
दिलीप पांडे ने बताया कि 2005 में मढिया को मंदिर का रूप देने का काम शुरू हुआ। मढिया पुराने नीम के पेड़ के नीचे बनी थी। पर्यावरण संरक्षण को देखते हुए मंदिर की छत बनाते समय पेड़ को भी सुरक्षित रखा गया। वे बताते हैं कि यहां विभिन्न शुभ कार्यों की शुरुआत से पहले लोग पूजन पाठ के लिए आते हैं। पंडित अर्पण मिश्रा मंदिर की पूरी व्यवस्था की देखभाल करते हैं। इसी प्रकार पंडित शुभम शर्मा मंदिर में नियमित पूजन पाठ आरती जैसे दायित्वों का निर्वहन करते हैं। खास बात यह है कि यहां अंचल की बड़ी बड़ी राजनीतिक हस्तियां भी किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले भगवान के दर्शन और पूजन के लिए आती हैं। (ganesh visarjan 2025)