Bharti Singh Second Baby: अभी हाल ही में भारती सिंह ने अपने दूसरे बेटे को जन्म दिया है लेकिन उनकी यह दूसरी प्रेग्नेंसी उनके लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति थी क्योंकि इस दौरान वह गेस्टेशनल डायबिटीज (GDM), यानी प्रेग्नेंसी के दौरान रक्त शर्करा के बढ़ने की समस्या से पीड़ित थीं। आइए स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शैलजा अग्रवाल से जानते हैं कि गेस्टेशनल डायबिटीज क्या है, बच्चे की सेहत पर इसका क्या असर होता है और इसका मैनेजमेंट कैसे किया जा सकता है।
Bharti Singh Second Baby: कहा जाता है न कि रुला तो कोई भी सकता है लेकिन लोगों को हंसाना हर किसी के बस में नहीं होता है। बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जिनमें यह हुनर हो कि वे दूसरों को हंसा सकें। ऐसे ही लोगों में काफी ऊपर नाम आता है कॉमेडियन भारती सिंह का, जो हर घर में किसी न किसी की पसंद तो जरूर होंगी। भारती अभी चर्चा का विषय इसलिए बनी हुई हैं क्योंकि उन्होंने हाल ही में 41 साल की उम्र में अपने दूसरे बेटे को जन्म दिया है। 2017 में भारती सिंह और हर्ष लिम्बाचिया की शादी हुई थी, उसके बाद साल 2022 में भारती ने पहले बेटे को जन्म दिया था।
भारती ने अपने एक सोशल मीडिया ब्लॉग में जानकारी दी है कि उन्होंने दूसरे बेटे को जन्म दिया है, उन्हें बेटी चाहिए थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि अपनी दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान भारती को गेस्टेशनल डायबिटीज होने के कारण भारी परेशानी का सामना करना पड़ा था, लेकिन अभी भारती ने बिल्कुल स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया है। आइए स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शैलजा से जानते हैं कि गेस्टेशनल डायबिटीज क्या है, प्रेग्नेंसी के दौरान गेस्टेशनल डायबिटीज होने से बच्चे में कौन-कौन सी दिक्कत हो सकती है, इसके लक्षण क्या हैं और अगर यह हो जाए तो इसका मैनेजमेंट कैसे किया जाना चाहिए?
आमतौर पर प्रेग्नेंसी के 24 से 28 सप्ताह पर दिखाई देने वाला यह डायबिटीज उस समय होता है जब महिला के शरीर में रक्त शर्करा की मात्रा बहुत अधिक हो जाती है। गर्भावस्था के दौरान गेस्टेशनल डायबिटीज होना इस बात का संकेत नहीं है कि आपको पहले से डायबिटीज था। लेकिन हां, जिन महिलाओं में प्रेग्नेंसी से पहले ही टाइप-1 या टाइप-2 डायबिटीज होता है, उन्हें इस दौरान ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। कई बार जब गर्भावस्था में इंसुलिन हार्मोन के अवरोधक बढ़ जाते हैं तो इस कारण से भी गेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। ज्यादातर महिलाओं में तो गेस्टेशनल डायबिटीज से कोई ज्यादा समस्या नहीं होती, बस संतुलित आहार और अच्छी जीवनशैली अपनाकर इसके खतरे और इससे होने वाले नुकसान को काफी कम किया जा सकता है।
गेस्टेशनल डायबिटीज के आमतौर पर बहुत कम लक्षण स्पष्ट दिखाई देते हैं। ज्यादातर तो यह परीक्षण से ही पता चलता है, लेकिन फिर भी इसके कई लक्षण हैं जो दिखाई देते हैं जैसे:
1. बहुत ज्यादा भूख लगना
2. सामान्य से बहुत ज्यादा प्यास लगना
3. बार-बार और जल्दी-जल्दी पेशाब आना
4. बहुत ज्यादा थकान और कमजोरी महसूस होना
1.जन्म के समय बच्चे का वजन सामान्य से अधिक होना
2. शिशु को दौरे पड़ना
3.समय से पहले बच्चे का जन्म (Preterm Birth) हो जाना
4.बच्चे की बढ़ती यानी बाद की उम्र में टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाना