Vitamin E and Pregnancy: एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि गर्भावस्था में विटामिन ई की कमी से महिलाओं में मिसकैरेज का खतरा बढ़ सकता है। विटामिन ई एक महत्वपूर्ण एंटीऑक्सिडेंट है, जो न केवल आपकी कोशिकाओं को नुकसान से बचाता है बल्कि गर्भ में बच्चे के विकास के लिए भी आवश्यक है।
Effects of vitamin E Deficiency: विटामिन ई में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। यह कोशिकाओं को ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाता है, इम्यूनिटी को मजबूत बनाता है और त्वचा व आंखों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। विटामिन ई की कमी धीरे-धीरे बढ़ सकती है, जिससे शुरुआती चरणों में इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है। ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा फ्री रेडिकल बायोलॉजी एंड मेडिसिन में प्रकाशित स्टडी में बताया गया है कि विटामिन ई की कमी से भ्रूण को तंत्रिका संबंधी क्षति हो सकती है, भ्रूण का सामान्य रूप से विकास नहीं हो पाता और उसकी मृत्यु हो सकती है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो महिलाओं में गर्भपात का एक कारण हो सकती है।
विटामिन ई की कमी अक्सर कम फैट वाले खाने या विटामिन ई से भरपूर प्राकृतिक खाद्य पदार्थों की कमी से होती है। मेवे, बीज और पत्तेदार सब्जियों का सेवन न करने से शरीर में इसकी कमी हो सकती है।
कुछ स्वास्थ्य स्थितियां शरीर की आहार फैट को अवशोषित करने की क्षमता को प्रभावित करती हैं, और उनके साथ, फैट में घुलनशील विटामिन जैसे विटामिन ई को भी प्रभावित करती हैं। इसके कारण ये परेशानियां भी हो सकती हैं -
यह विकार पैंक्रियाज को प्रभावित करता है, जिससे वसा को तोड़ना और अवशोषित करना कठिन हो जाता है, जिससे पोषक तत्वों की कमी का खतरा बढ़ जाता है।
ये परेशानी वसा के पाचन को बाधित करती है, जो बदले में विटामिन ई के अवशोषण को प्रभावित करता है।
पाचन तंत्र की सूजन आवश्यक विटामिनों सहित पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा डालती है।