Early Signs of Heart Problems : हार्ट डिजीज जो अक्सर वृद्धों की चिंता का विषय माना जाता है लेकिन अब टीनएजर्स को भी खराब लाइफ स्टाइल, मोटापे और आनुवंशिक कारकों के कारण प्रभावित कर रहा है। वसा और कोलेस्ट्रॉल के जमाव के कारण ब्लॉकेज, ब्लड सर्कुलेशन में बाधा डालता है और हार्ट पर दबाव डालता है।
Early Signs of Blocked Arteries : हार्ट डिजीज अब केवल ओल्ड ऐज की ही चिंता का विषय नहीं रह गया है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (The American Heart Association report) की रिपोर्ट बताती है कि खराब लाइफ स्टाइल, बढ़ते मोटापे और आनुवंशिक जोखिमों के कारण टीनएजर्स और युवा लोगों में ब्लॉकेज की समस्या तेजी से बढ़ रही है। धमनियां ब्लड ले जाने के लिए महत्वपूर्ण होती हैं, लेकिन जब ये वसा, कोलेस्ट्रॉल और प्लाक से भर जाती हैं तो ये ब्लड सर्कुलेशन को बाधित करती हैं और हार्ट पर दबाव डालती हैं। टीनएजर्स के लिए अगर लक्षणों को नजरअंदाज किया जाए, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। बिना किसी स्पष्ट कारण के सीने में दर्द, बेहोशी या थकान हार्ट संबंधी शुरुआती समस्याओं का संकेत हो सकते हैं।
हार्ट डिजीज को लंबे समय से एक ऐसी स्थिति माना जाता रहा है जो मुख्य रूप से बूढ़े लोगों को प्रभावित करती है, लेकिन आजकल किशोरों और युवा वयस्कों में ब्लॉकेज की समस्या बढ़ती जा रही है। यह बदलाव चिंताजनक है क्योंकि कम उम्र में हार्ट डिजीज न केवल लाइफ की गुणवत्ता को कम करता है, बल्कि आगे चलकर गंभीर हेल्थ प्रॉब्लम्स का खतरा भी बढ़ाता है।
हार्ट से शरीर के बाकी हिस्सों में ब्लड पहुंचाने में धमनियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। NIH में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, जब ये वाहिकाएं वसा, कोलेस्ट्रॉल और अन्य पदार्थों से संकुचित या अवरुद्ध हो जाती हैं, तो ब्लड सर्कुलेशन बाधित हो जाता है, जिससे हार्ट पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
पहले दिल की बीमारियान धीरे-धीरे और कई सालों में होती थीं। लेकिन अब हमारी लाइफस्टाइल ने इस प्रक्रिया को तेज कर दिया है। देर तक बैठे रहना, जंक और फास्ट फूड ज्यादा खाना, धूम्रपान या वेपिंग करना और लगातार स्ट्रेस में रहना ये सब दिल की सेहत को जल्दी खराब कर रहे हैं। इसके अलावा, बच्चों में बढ़ता मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज और परिवार में दिल की बीमारी का इतिहास भी खतरे को और बढ़ा देता है। अगर किसी का फैमिली बैकग्राउंड पहले से ऐसा है और ऊपर से लाइफस्टाइल भी खराब है, तो रिस्क और ज्यादा बढ़ जाता है। यही वजह है कि अब हार्ट डिजीज सिर्फ बुजुर्गों की समस्या नहीं रही, बल्कि युवाओं के लिए भी एक बड़ी चिंता बन गई है।
ज्यादातर टीनएजर्स को हार्ट संबंधी समस्याओं का सामना करने की उम्मीद नहीं होती, जिससे उनके लिए शुरुआती चेतावनी संकेतों को नजरअंदाज करना आसान हो जाता है। हालांकि, कुछ लक्षणों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। बिना किसी स्पष्ट कारण के सीने में दर्द, हल्की गतिविधि के बाद असामान्य थकान, धड़कन, चक्कर आना और सांस लेने में कठिनाई, ये सभी अवरुद्ध धमनियों की ओर इशारा कर सकते हैं। बेहोशी एक और खतरे का संकेत है जो मस्तिष्क में ब्लड सर्कुलेशन में कमी का संकेत हो सकता है।
कई बार युवाओं में अचानक दिल रुकना (कार्डियक अरेस्ट) ही छुपी हुई दिल की बीमारी का पहला संकेत होता है। यही वजह है कि जागरूक रहना बहुत जरूरी है। खासकर उन बच्चों और किशोरों के लिए जिनमें रिस्क फैक्टर्स ज्यादा हैं या जिनके परिवार में पहले से हार्ट डिजीज़ रही है। अगर ऐसे लक्षणों को शुरू में ही पहचान लिया जाए और इलाज शुरू कर दिया जाए, तो बड़े हादसों से बचा जा सकता है।
अब कार्डियोलॉजी में हुई तरक्की की वजह से डॉक्टर पहले ही स्टेज पर धमनियों के ब्लॉकेज का पता लगा सकते हैं। अगर किसी किशोर में दिल से जुड़े परेशान करने वाले लक्षण दिखें, तो डॉक्टर कुछ टेस्ट कराते हैं — जैसे ईसीजी, ईको, ट्रेडमिल स्ट्रेस टेस्ट, सीटी एंजियोग्राफी या ब्लड टेस्ट (लिपिड प्रोफाइल)। अगर मामला ज्यादा जटिल हो, तो ब्लॉकेज कहां और कितना है, यह सबसे साफ-साफ पता लगाने के लिए पारंपरिक कोरोनरी एंजियोग्राफी की जाती है।
उपचार स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करता है। लाइफ स्टाइल और दवाएं अक्सर सबसे पहले शुरू की जाती हैं, जिनमें कोलेस्ट्रॉल कम करने, ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने और थक्कों के जोखिम को कम करने के लिए दवाएं दी जाती हैं। अधिक गंभीर मामलों में, एंजियोप्लास्टी की जा सकती है, जिसमें धमनी को चौड़ा करने के लिए एक छोटे गुब्बारे का उपयोग किया जाता है और उसे खुला रखने के लिए एक स्टेंट लगाया जाता है। यदि कई धमनियाँ गंभीर रूप से बंद हो गई हैं तो कोरोनरी धमनी बाईपास ग्राफ्टिंग (सीएबीजी) की आवश्यकता होती है।
आजकल दिल की धमनियों का इलाज करने के लिए कुछ एडवांस तरीके भी इस्तेमाल होते हैं, जैसे रोटैब्लेशन, जिसमें धमनियों में जमे कठोर प्लाक को हटाया जाता है, और ड्रग-एल्यूटिंग स्टेंट, जो ब्लॉकेज दोबारा बनने से रोकते हैं और लंबे समय तक असरदार रहते हैं। ये इलाज बहुत कारगर हैं, लेकिन असली मकसद यही है कि धमनियों में रुकावट बनने ही न पाए।
अगर बचपन से ही दिल के लिए स्वस्थ आदतें अपनाई जाएं तो रिस्क काफी कम हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि डाइट में फल, सब्ज़ियां , साबुत अनाज, हेल्दी फैट और लीन प्रोटीन शामिल हों और जंक फूड, ज्यादा चीनी व पैकेज्ड चीजें कम खाई जाएं।
साथ ही रोजाना थोड़ी-बहुत शारीरिक एक्टिविटी जरूर करें—चाहे खेलकूद हो, पैदल चलना, दौड़ना या साइकिल चलाना। धूम्रपान, वेपिंग और शराब से दूरी बनाना दिल की सेहत के लिए बेहद जरूरी है।
तनाव कम करना, पर्याप्त नींद लेना और सही वजन बनाए रखना भी हार्ट प्रॉब्लम से बचाता है। नियमित हेल्थ चेकअप और डॉक्टर की सलाह से समय रहते खतरे को पकड़ना आसान हो जाता है।