Giloy research 2024, : कोरोना के बाद गिलोय के फायदों की चर्चा सभी तरफ हो रही है। हाल में हुए शोधों में वैज्ञानिक स्वीकृति भी मिल गई गई। गिलोय को आयुर्वेद में वायरल संक्रमण, कैंसर और सूजन को मात देने में कारगर बताया गया है।
Giloy cancer treatment : पिछले एक दशक में गिलोय (टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया) पर वैश्विक शोध में 376.5% की जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई है। आयुष मंत्रालय के अनुसार, यह वृद्धि इस चमत्कारी जड़ी-बूटी की बढ़ती वैज्ञानिक स्वीकृति और इसके औषधीय गुणों के कारण हुई है।
संस्कृत में ‘अमृता’ के नाम से पहचानी जाने वाली गिलोय को आयुर्वेद में सदियों से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और विभिन्न बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता रहा है। यह जड़ी-बूटी शरीर को डिटॉक्स करने, संक्रमण से बचाने और संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए जानी जाती है।
PubMed, जो कि वैश्विक स्तर पर बायोमेडिकल और लाइफ साइंस शोधों के लिए प्रतिष्ठित डेटाबेस है, के अनुसार:
2014 में गिलोय पर शोध पत्रों की संख्या: 243
2024 में यह संख्या बढ़ कर: 913
इस आंकड़े से स्पष्ट होता है कि दुनिया भर में वैज्ञानिक और शोधकर्ता गिलोय के औषधीय गुणों पर अधिक ध्यान दे रहे हैं।
वैज्ञानिक लंबे समय से गिलोय की औषधीय क्षमताओं का अध्ययन कर रहे थे, लेकिन कोविड-19 महामारी के बाद इसमें अचानक तेजी आई। प्राकृतिक इम्यूनिटी बूस्टर्स और समग्र स्वास्थ्य देखभाल उपायों की खोज ने गिलोय को वैश्विक चिकित्सा शोध का केंद्र बना दिया।
हालिया शोधों से यह स्पष्ट हुआ है कि गिलोय में इम्यूनोमॉडुलेटरी (रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले), एंटीवायरल और एडाप्टोजेनिक गुण मौजूद हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यह न केवल वायरल संक्रमणों को रोकने में सहायक है, बल्कि कैंसर, ऑटोइम्यून डिजीज और सूजन संबंधी विकारों के प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा, "आयुष प्रणाली की वैज्ञानिक प्रमाणिकता को बढ़ाना हमारी प्राथमिकता है। हम शोध सहयोग को मजबूत करने, वैज्ञानिक अध्ययन को बढ़ावा देने और मुख्यधारा की चिकित्सा प्रणाली में आयुर्वेद को शामिल करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।"
कैंसर चिकित्सा में भूमिका: नए शोधों से संकेत मिले हैं कि गिलोय में कैंसररोधी तत्व हो सकते हैं।
ऑटोइम्यून रोगों में प्रभावी: यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को संतुलित कर सकता है।
सूजन और संक्रमण के खिलाफ: इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीवायरल गुण इसे एक बेहतरीन औषधि बनाते हैं।
डॉ. गलीब, एसोसिएट प्रोफेसर, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद, ने कहा, "गिलोय पर वैज्ञानिक शोध लगातार बढ़ रहा है और यह विभिन्न चिकित्सा क्षेत्रों में भविष्य में व्यापक उपयोग के लिए संभावनाएं रखता है।"
गिलोय पर वैश्विक शोध में तेजी यह दर्शाती है कि यह सिर्फ पारंपरिक चिकित्सा तक सीमित नहीं है, बल्कि आधुनिक विज्ञान भी इसके औषधीय गुणों को स्वीकार कर रहा है। आने वाले समय में, इसके और भी अधिक लाभकारी उपयोगों का पता लगाया जा सकता है, जिससे यह आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकता है।
IANS