HMPV cases in India : एचएमपीवी, जिसे ह्यूमन मेटाप्नूमोवायरस के नाम से जाना जाता है, के मामले भारत में सामने आए हैं। यह वायरस प्नूमोविरिडाए परिवार से संबंधित है और श्वसन साइनसाइटल वायरस के समान है। एचएमपीवी मुख्य रूप से श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है और इसके लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं।
HMPV cases in India :ह्यूमन मेटाप्नूमोवायरस (HMPV) एक सामान्य श्वसन संक्रमण का वायरस है, जो आमतौर पर हल्के जुकाम जैसे लक्षण उत्पन्न करता है। यह वायरस 1970 के दशक से मौजूद है, लेकिन इसे पहली बार 2001 में वैज्ञानिकों ने पहचाना। यह वैश्विक स्तर पर 4-16 प्रतिशत तीव्र श्वसन संक्रमणों के लिए जिम्मेदार है। इसके मामले आमतौर पर नवंबर से मई के बीच बढ़ते हैं।
वयस्कों में, पूर्व संक्रमणों से बनी रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण यह हल्का होता है, लेकिन शिशुओं और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में यह गंभीर संक्रमण का कारण बन सकता है।
डॉ. अंकित पटेल कंसलटेंट जनरल फिजिशियन, जयपुर ने बताया कि एचएमपीवी (ह्यूमन मेटानेमोवायरस) मुख्य रूप से श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है, लेकिन गंभीर संक्रमण के मामलों में इसका प्रभाव शरीर के अन्य अंगों, जैसे किडनी पर भी पड़ सकता है। जब संक्रमण गंभीर रूप लेता है, तो यह शरीर में ऑक्सीजन की कमी और सूजन को बढ़ा सकता है, जिससे किडनी के सामान्य कार्यों पर असर पड़ सकता है। किडनी पर इसका प्रभाव तब अधिक प्रबल हो सकता है जब व्यक्ति में पहले से कोई किडनी से संबंधित समस्या हो।
डॉ. अंकित पटेल ने कहा गंभीर संक्रमण के कारण डिहाइड्रेशन या लो ब्लड प्रेशर जैसे लक्षण किडनी के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इसके अलावा, संक्रमण के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली कुछ दवाइयों या एंटीबायोटिक्स भी किडनी पर अतिरिक्त दबाव डाल सकती हैं। अगर सामान्य सर्दी जुकाम के लक्षणों के साथ पेशाब की मात्रा कम हो जाए, सुस्ती या शरीर में सूजन जैसे लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। किडनी को नुकसान से बचाने के लिए शरीर को हाइड्रेटेड रखना, पौष्टिक भोजन लेना, साफ-सफाई का ध्यान रखना, संक्रमण की गंभीरता पर नजर रखना और समय पर इलाज कराना बेहद जरूरी है।
डॉ. पटेल ने कहा कि यदि सामान्य सर्दी-जुकाम के साथ निम्नलिखित लक्षण नजर आएं, तो यह किडनी पर असर का संकेत हो सकता है:
क्या एचएमपीवी किडनी को प्रभावित कर सकता है?
नेफ्रोलॉजिस्ट के अनुसार, हाल ही में हुए शोध में एचएमपीवी और किडनी स्वास्थ्य के बीच रोचक संबंधों का पता चला है। अस्पताल में भर्ती बच्चों पर किए गए एक अध्ययन से पता चला कि एचएमपीवी संक्रमण तीव्र किडनी चोट (acute kidney injury) से जुड़ा हो सकता है। यह जोखिम उम्र के साथ बढ़ता है, और किडनी की चोट केवल सांस लेने की जटिलताओं के कारण नहीं हो सकती है।
विशेषज्ञ के अनुसार किडनी और फेफड़े के ट्रांसप्लांट मरीजों में एचएमपीवी गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है। इम्यूनोसप्रेसिव दवाओं के चलते वायरस का प्रभाव और भी गंभीर हो सकता है, जिससे तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम (ARDS) और अन्य जटिलताएं बढ़ जाती हैं।”
एचएमपीवी संक्रमण के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
खांसी
बुखार
गले में खराश
बहती या बंद नाक
घरघराहट
भले ही एचएमपीवी से किडनी को सीधे नुकसान का अभी पता नहीं चल सका है, लेकिन इसके सिस्टमेटिक प्रभावों के कारण उच्च जोखिम वाले मरीजों की सतर्क निगरानी आवश्यक है।”
एचएमपीवी से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाएं:
हाथों की सफाई: नियमित रूप से साबुन और पानी से हाथ धोएं।
भीड़भाड़ से बचाव: संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए भीड़भाड़ वाले स्थानों में जाने से बचें।
मास्क पहनें: वायरस से बचाव के लिए मास्क का उपयोग करें।
संतुलित आहार और व्यायाम: प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाए रखने के लिए स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम करें।
एचएमपीवी संक्रमण को गंभीरता से लेना आवश्यक है, विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों के लिए। समय पर जांच और उचित चिकित्सा से इसके प्रभावों को कम किया जा सकता है।
आपको बता दें कि मानव मेटाप्नूमोवायरस (HMPV) पहले से ही दुनियाभर में, और भारत में भी, फैल रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार, 6 जनवरी 2025 को यह जानकारी दी। मंत्रालय ने बताया कि भारत में अब तक किसी भी मामले में यात्रा का इतिहास नहीं मिला है और सभी संक्रमित लोग ठीक हो रहे हैं।
मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत में यह वायरस नया नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने एक वीडियो बयान में कहा, "स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया है कि HMPV कोई नया वायरस नहीं है। इसे 2001 में पहली बार पहचाना गया था और यह कई वर्षों से दुनिया भर में फैल रहा है। यह वायरस हवा के जरिए, सांस लेने से फैलता है और सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित कर सकता है।"
उन्होंने कहा, "देश के स्वास्थ्य तंत्र और निगरानी नेटवर्क सतर्क हैं, इसलिए घबराने की कोई जरूरत नहीं है।"