John Cena Skin Cancer: WWE के दिग्गज खिलाड़ी जॉन सीना ने हाल ही में अपनी रिटायरमेंट की घोषणा के साथ एक चौंकाने वाली बात बताई है। उन्होंने साझा किया कि वे कई सालों तक बहुत ज्यादा धूप में रहने के आदी थे और सनस्क्रीन का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं करते थे। डॉक्टरों ने उनके स्किन कैंसर की यही सबसे बड़ी वजह बताई। आइए जानते हैं कि सनस्क्रीन का स्किन कैंसर से क्या संबंध है।
John Cena Skin Cancer: वर्ल्ड रेसलिंग एंटरटेनमेंट (WWE) दुनिया की सबसे प्रसिद्ध प्रोफेशनल रेसलिंग कंपनी है। इसके 48 वर्षीय दिग्गज जॉन सीना ने हाल ही में अपनी रिटायरमेंट की घोषणा की है। इस दौरान उन्होंने अपनी उस गलती के बारे में खुलकर चर्चा की, जिसकी वजह से उन्हें स्किन कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी का शिकार होना पड़ा। उनके विदाई मैच के दौरान दर्शकों की नजर उनकी त्वचा पर मौजूद निशानों पर भी पड़ी होगी। इन्हीं निशानों के बारे में उन्होंने बताया कि ये उनके त्वचा कैंसर की सर्जरी के निशान हैं। आइए जानते हैं कि त्वचा कैंसर और सनस्क्रीन का क्या संबंध है और इससे बचने के लिए हमें कौन-से 4 उपाय अपनाने चाहिए।
त्वचा कैंसर दुनिया में होने वाले कैंसरों में एक प्रमुख स्थान रखता है। WHO के अनुसार, दुनिया भर में हर साल करीब 1.5 लाख लोग स्किन कैंसर के कारण अपनी जान गंवाते हैं। आज के इस वैज्ञानिक युग में हम जानकारी तो पाना चाहते हैं, लेकिन अक्सर वह अधूरी होती है। हमें यह तो पता है कि धूप लेना हमारी सेहत के लिए फायदेमंद है, लेकिन हमें यह नहीं पता होता कि बहुत ज्यादा धूप में रहना हमारी स्किन को गंभीर हानि पहुंचा सकता है।
सूरज की रोशनी में पराबैंगनी किरणें (UV Rays) पाई जाती हैं। लंबे समय तक बिना सनस्क्रीन या किसी अन्य सुरक्षा के धूप में रहने के कारण ये किरणें हमारी त्वचा की कोशिकाओं के DNA को नष्ट करने लगती हैं, जिससे स्किन कैंसर और अन्य त्वचा रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
जॉन सीना ने स्वीकार किया है कि वे बिना सनस्क्रीन के फ्लोरिडा की धूप में घंटों बिताते थे, इसी कारण वे स्किन कैंसर के शिकार हुए। उनके सीने और कंधों पर सफेद धब्बे (जिन्हें 'सफेद पोल्का डॉट्स' भी कहा जा रहा है) पाए गए थे, जिन्हें उन्होंने सर्जरी करवाकर हटवाया। गौर करने वाली बात यह है कि कम धूप में भी सूरज की ये पराबैंगनी किरणें उतनी ही खतरनाक होती हैं। हालांकि ओजोन परत इनसे हमारी सुरक्षा करती है, पर वर्तमान में बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग के कारण ओजोन परत भी पूर्ण रूप से सुरक्षा नहीं कर पा रही है। ऐसे में हमें अपनी सुरक्षा का ध्यान स्वयं रखना होगा।
1. सनस्क्रीन का नियमित प्रयोग करें: धूप में जाने से कम से कम 20 मिनट पहले सनस्क्रीन लगाना सुनिश्चित करें। अपनी स्किन टोन के अनुसार सही सनस्क्रीन का चुनाव करना बेहतर रहता है। यदि आपको एलर्जी है, तो बिना डॉक्टर की सलाह के सनस्क्रीन का प्रयोग न करें।
2.पीक आवर्स (Peak Hours) में बाहर जाने से बचें: पीक आवर्स यानी वह समय जब सूरज की पराबैंगनी किरणों का प्रकोप सबसे ज्यादा होता है। ऐसा अक्सर सुबह 10 से दोपहर 4 बजे के बीच होता है। इस समय बाहर जाने से बचना चाहिए और यदि जाना आवश्यक हो, तो सनस्क्रीन का प्रयोग अनिवार्य रूप से करें।
3.अपनी त्वचा की स्वयं जांच करते रहें: हमारा स्वास्थ्य हमारी अपनी जिम्मेदारी है। केवल डॉक्टरों पर निर्भर रहने के बजाय अपनी त्वचा की जांच स्वयं भी करते रहें। यदि त्वचा पर कोई ऐसा तिल दिखे जो आकार बदल रहा हो, कोई अजीब धब्बा या ऐसा घाव जो ठीक न हो रहा हो, तो तुरंत विशेषज्ञ से मिलें।
4.फुल स्लीव्स (पूरी बाजू) के कपड़े पहनें: जब भी तेज धूप में बाहर निकलना हो, तो कोशिश करें कि शरीर पूरी तरह ढका हो। पूरी बाजू के कपड़े पहनना त्वचा कैंसर के खतरे को कम करने का एक सरल और प्रभावी तरीका है।