Kidney Damage Symptoms : रात में बार-बार पेशाब आना, खुजली, सूजन या नींद न आना जैसे लक्षण किडनी फेलियर के संकेत हो सकते हैं। एक्सपर्ट डॉक्टर बिमल छाजड़ बताते हैं कि इन संकेतों को पहचानकर समय रहते इलाज कैसे करवाएं।
Kidney Damage Symptoms : किडनी हमारे शरीर की फिल्टर मशीन के तौर पर काम करता है, जो खून को साफ करती है और शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालती है। लेकिन पिछले कुछ सालों में किडनी से जुड़ी बीमारियों में तेजी से इजाफा देखने को मिला है। इनमें किडनी फेलियर (Kidney Failure) सबसे गंभीर स्थिति मानी जाती है। यह तब होता है जब किडनी अपनी सामान्य क्षमता खो देती है और शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में असमर्थ हो जाती है।
SAAOL हार्ट सेंटर के डायरेक्टर डॉ. बिमल छाजड़ ने बताया कि किडनी फेलियर का सबसे बड़ा कारण इसके लक्षणों को देर से पहचानना है। शुरुआती लक्षण बहुत हल्के होते हैं, इसलिए लगभग 90% लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन यही मामूली लगने वाले लक्षण आगे चलकर गंभीर बीमारी बन जाते हैं। डॉ. छाजड़ बताते हैं कि कुछ संकेत ऐसे हैं जो रात के समय ज्यादा दिखाई देते हैं, और इन्हें पहचानना बेहद जरूरी हो जाता है।
अगर आपको रात के समय बार-बार पेशाब आ रहा है या नींद टूटने पर हर बार टॉयलेट जाना पड़ रहा है, तो यह किडनी की खराबी का शुरुआती संकेत हो सकता है। कभी-कभी पेशाब लीक होने की समस्या भी इसमें शामिल होती है।
जब किडनी शरीर से नमक और पानी को सही ढंग से बाहर नहीं निकाल पाती, तो यह तरल पदार्थ पैरों, टखनों और कभी-कभी हाथों में जमा होने लगते हैं। खासकर शाम या रात में सूजन ज्यादा दिखाई देती है।
शरीर में टॉक्सिन्स के जमा होने से स्किन पर खुजली, रैश और जलन महसूस होती है। अगर यह समस्या रात में बढ़ जाती है, तो यह किडनी के फेल होने का एक संकेत हो सकता है।
किडनी की खराबी के कारण शरीर में टॉक्सिन्स का स्तर बढ़ जाता है, जिससे रात के समय बेचैनी और थकान होती है। कई बार व्यक्ति को नींद नहीं आती या बार-बार नींद टूटती रहती है।
किडनी फेलियर की स्थिति में शरीर में फ्लूइड जमा होने लगता है, जिससे फेफड़ों पर दबाव बढ़ता है। इसके कारण रात में सांस लेने में दिक्कत और सीने में दर्द महसूस हो सकता है।
अगर इन लक्षणों में से कोई भी संकेत आपको महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। सबसे पहले ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट, अल्ट्रासाउंड या MRI कराना जरूरी है ताकि आपको सही स्थिति का पता चल सके। शुरुआता में दवाओं से इलाज हो सकता है, लेकिन गंभीर स्थिति में डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट करवाना पड़ सकता है।