New Bacterium Behind in Whooping Cough : उत्तर भारत में सीने के संक्रमण और काली खांसी जैसे लक्षण तेजी से बढ़ रहे हैं। PGIMER की रिपोर्ट के अनुसार Bordetella holmesii नामक नया बैक्टीरिया 13 मिलियन केसों की वजह बना है। जानिए इसके लक्षण, खतरे और बचाव के उपाय।
New Bacterium Behind in Whooping Cough : भारत में हाल ही में एक नई रिपोर्ट ने चिंता बढ़ा दी है। उत्तरी भारत में खांसी और सीने के संक्रमण के मामलों में अचानक बढ़ोतरी देखी जा रही है। चंडीगढ़ स्थित PGIMER (Postgraduate Institute of Medical Education and Research) द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, इसका कारण एक कम ज्ञात बैक्टीरिया है जो काली खांसी (Whooping Cough) जैसे लक्षण पैदा करता है।
इस बीमारी को पर्टूसिस (Pertussis) कहा जाता है, जो एक अत्यधिक संक्रामक श्वसन रोग है। इसमें मरीज को बहुत तेज और लगातार खांसी होती है, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है। कई बार खांसी के बाद मरीज को हूप जैसी तीखी आवाज के साथ सांस लेनी पड़ती है, जिससे इसका नाम Whooping Cough पड़ा। यह बीमारी पहले बच्चों में मृत्यु का एक प्रमुख कारण हुआ करती थी। 20वीं सदी के आरंभ में इसकी मृत्यु दर करीब 10% तक थी। अब एक बार फिर इस बीमारी ने अपना रूप बदलकर भारत में चिंता पैदा कर दी है।
अमेरिका के CDC (Centers for Disease Control and Prevention) की जर्नल Emerging Infectious Diseases में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक, 2023 में उत्तर भारत में 5 से 10 वर्ष के बच्चों में इसके मामलों में सबसे ज्यादा वृद्धि दर्ज की गई। PGIMER की टीम ने बताया कि पहले यह बीमारी Bordetella pertussis बैक्टीरिया से होती थी, लेकिन अब करीब 37% संक्रमण Bordetella holmesii नामक नए बैक्टीरिया से हो रहे हैं। डेटा के अनुसार, B. pertussis के मामले पहले 15–20% थे जो अब घटकर सिर्फ 2–5% रह गए हैं, जबकि B. holmesii के संक्रमण में तेजी आई है।
भारत में इस समय करीब 13.6 मिलियन केस दर्ज किए गए हैं, जबकि चीन में भी मामलों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। कोविड-19 महामारी के बाद इस बीमारी के केसों में अचानक उछाल आया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, संक्रमण के 5 से 10 दिन बाद लक्षण दिखने लगते हैं। शुरुआत में यह साधारण सर्दी-जुकाम की तरह लग सकता है। जैसे नाक बहना, आंखों में पानी, हल्का बुखार और सूखी खांसी। लेकिन एक या दो सप्ताह बाद यह खांसी बेहद तेज और लगातार होने लगती है। गले और फेफड़ों में बलगम जमने से सांस लेने में दिक्कत होती है और खांसी कई हफ्तों या महीनों तक बनी रह सकती है, खासकर रात में।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस बीमारी से बचने के लिए टिकाकरण (Pertussis Vaccine) सबसे प्रभावी तरीका है। इसके अलावा, बच्चों को समय पर टीका लगवाएं। खांसते या छींकते समय मुंह ढकें। संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखें। बार-बार हाथ धोएं और भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचें। अगर खांसी तीन हफ्तों से ज्यादा बनी रहे, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। यह बीमारी फिलहाल नियंत्रण योग्य है, लेकिन इसकी जागरूकता और शुरुआती पहचान बेहद जरूरी है, क्योंकि यह बच्चों और बुजुर्गों के लिए गंभीर रूप ले सकती है।