स्वास्थ्य

Pregnancy Constipation: प्रेगनेंसी में कब्ज आम है या खतरे की घंटी? डॉक्टर से जानिए पूरी सच्चाई

Pregnancy Constipation: प्रेगनेंसी के दौरान कब्ज की समस्या क्यों होती है? हार्मोन, डाइट और लाइफस्टाइल का असर समझिए और जानिए कब्ज से राहत पाने के सुरक्षित उपाय।

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Dec 21, 2025
Pregnancy Constipation (photo- freepik)

Pregnancy Constipation: प्रेगनेंसी के दौरान आमतौर पर कब्ज जैसी समस्याएं अधिकांश महिलाओं में देखी जाती हैं। दरअसल इस दौरान उनके शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे आंतों की मांसपेशियां ढीली पड़ जाती हैं और मल त्याग की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। मगर जैसे-जैसे उनके गर्भाशय का आकार बढ़ता है ठीक उसी प्रकार आंतों पर वह दबाव डालता है और इस कारण उनकी गति धीमी पड़ती जाती है। इसके अलावा कई और कारण भी होते हैं जैसे फिजिकल एक्टिविटी की कमी, खानपान में बदलाव और कम पानी पीने के कारण भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है। ऐसे में उन्हें अपने शरीर पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है। आज के लेख में हम इस पर गहनता से समझने का प्रयत्न करेंगे।

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डाइट का पाचन स्वास्थ्य पर असर

डॉ. मानिनि पटेल ने बताया कि आपका खान-पान कैसा है, इसका आपके पाचन स्वास्थ्य पर बहुत बड़ा असर पड़ता है। क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के खान-पान में बदलाव आने लगता है उन्हें कुछ अलग अपने मूड के हिसाब से खानपान में बदलाव करने का मन करता है। इस चक्कर में वे फल और सब्जियों का सेवन कम करने लगती हैं जबकि प्रोसेस्ड या तली-भुनी चीज़ों का सेवन अधिक करने लगती हैं। इससे उनके खान-पान में फाइबर की कमी हो जाती है जो पाचन क्रिया में समस्या उत्पन्न कर सकती है। इसलिए उन्हें इस दौरान अपने खान-पान पर बहुत ध्यान देने की आवश्यकता है अधिक से अधिक होने पानी पीना चाहिए इसके अलावा प्रेगनेंट महिलाओं को साबुत अनाज, फाइबर से भरपूर फल, हरी पत्तेदार सब्जियां और दिन भर गुनगुने तरल पदार्थ लेने की सलाह देते हैं। साथ ही दही या छाछ जैसे प्राकृतिक प्रोबायोटिक्स को डाइट में शामिल करने से आंतों का संतुलन बेहतर रहता है और पाचन प्रक्रिया सुचारु होती है।

तनाव और लाइफस्टाइल का पाचन पर असर

प्रेगनेंसी खुशियों के साथ-साथ शरीर में बदलाव, भावनात्मक संतुलन में बदलाव, काम का दबाव और नींद में व्यवधान भी लाती है। तनाव हार्मोन जैसे कोर्टिसोल पाचन क्रिया को धीमा कर सकते हैं और आंत-मस्तिष्क के प्राकृतिक संतुलन को भी प्रभावित कर सकते हैं। अनियमित नींद, कम शारीरिक गतिविधि, लंबे समय तक बैठना और दिनचर्या का अभाव जैसी आदतें कब्ज बढ़ाने में योगदान करती हैं। इसलिए नियमित हल्की शारीरिक गतिविधि जैसे वॉक, प्रीनेटल योग और स्ट्रेचिंग शामिल करना फायदेमंद होता है, क्योंकि इससे आंतों की गति बेहतर होती है और तनाव से जुड़े पाचन संबंधी समस्याओं में भी राहत मिलती है।

आसान और प्रभावी रोकथाम के उपाय

कब्ज को आसान जीवनशैली बदलावों से आसानी से रोका जा सकता है। इसके लिए रोजाना कम से कम 8 से 10 गिलास पानी पीना, सुबह गुनगुने तरल पदार्थ लेना और फाइबर से भरपूर आहार जैसे दलिया, छिलके वाले फल, सब्जियां, नट्स और बीज शामिल करना बहुत जरूरी है। नियमित भोजन समय का पालन करना और मल त्याग की प्राकृतिक इच्छा पर तुरंत प्रतिक्रिया देना भी आंतों की गति को नियमित करने में मदद करता है। जिन महिलाओं को आयरन सप्लीमेंट लेने की जरूरत है, वे डॉक्टर की सलाह के बाद हल्के फॉर्मूलेशन का सेवन कर सकती हैं, जिससे कब्ज की समस्या कम हो सकती है। खाने के बाद हल्की सैर करना, गहरी सांस लेने के व्यायाम करना और शांत दिनचर्या अपनाना भी पाचन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।

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Updated on:
21 Dec 2025 02:58 pm
Published on:
21 Dec 2025 02:55 pm
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