Skin Disease: त्वचा की बीमारियां अपने आप में एक गंभीर स्थान रखती हैं। त्वचा पर सफेद दाग यानी विटिलिगो की समस्या भी एक बहुत बड़े स्तर की आम समस्या बन चुकी है। आइए डॉ. मनोज जांगिड़ से जानते हैं कि ये बीमारी क्या है? इसके कारण क्या हैं और समाज में इसको लेकर जो अफवाहें फैली हुई हैं, उनका पूरा सच क्या है?
Skin Disease: आपने अपने अभी तक के जीवन में कोई न कोई ऐसा व्यक्ति जरूर देखा होगा जिसकी त्वचा पर सफेद निशान बने हुए हों या फिर उस जगह की त्वचा ही सफेद हो गई हो। शरीर के किसी हिस्से में इस प्रकार की त्वचा देखना उन लोगों को शर्मिंदगी महसूस करवाता है जो इससे ग्रसित हैं। कुछ लोगों में तो ये निशान इस प्रकार बढ़ जाते हैं कि उनकी पूरी त्वचा ही ऐसी दिखती है जैसे वे किसी और प्रदेश से आए हों।
त्वचा का इस प्रकार सफेद होना कोई श्राप नहीं होता है, असल में ये एक प्रकार की त्वचा की बीमारी है जिसे विटिलिगो कहते हैं। आइए इस बीमारी के प्रति हमारे समाज में जो अफवाहें और मिथक फैले हुए हैं, होम्योपैथिक एक्सपर्ट डॉ. मनोज जांगिड़ से बातचीत के आधार पर इसके सच को समझते हैं। जानते हैं कि ये बीमारी किस प्रकार लोगों के मन में शंका बिठाए हुए है, कैसे-कैसे मिथक समाज में इसको लेकर बने हुए हैं और असल में उनका इससे क्या संबंध है। ये बीमारी होती क्या है? इसके कारण क्या हैं और इससे बचने के लिए किस प्रकार की डाइट को शामिल करना चाहिए।
विटिलिगो वास्तव में एक वैज्ञानिक शब्दावली का शब्द है और इसका प्रयोग त्वचा पर होने वाले सफेद दागों की स्थिति के लिए किया जाता है। त्वचा की ये बीमारी तब होती है जब हमारे शरीर में त्वचा के रंग को बनाने वाली कोशिकाएं खत्म हो जाती हैं और फिर हमारी त्वचा पर सफेद या दूधिया रंग के धब्बे होने लग जाते हैं। लोग इसको श्राप समझने लग जाते हैं, लेकिन ये बाकी त्वचा की बीमारियों की तरह मात्र एक बीमारी है, कोई संक्रमण या श्राप नहीं है।
अक्सर सफेद दाग यानी विटिलिगो को लेकर हमारे समाज में ये अफवाह फैली रहती है कि सफेद चीजें कम खाया करो नहीं तो त्वचा पर सफेद धब्बे हो जाएंगे। लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। न ही आज तक विज्ञान में कोई ऐसा शोध हुआ है जो यह साबित कर दे कि सफेद रंग का भोजन इसका कारण बनता है। लोगों में ये भी अफवाह है कि मछली खाने के बाद दूध पीने से सफेद दाग होते हैं, लेकिन इस बात का भी कोई मेडिकल आधार नहीं है। हां, कुछ लोगों में ऐसा करने से पाचन संबंधी समस्याएं जरूर हो जाती हैं।
विटिलिगो त्वचा बीमारी के कारण विटिलिगो का ऐसा कोई एक कारण नहीं है कि बस इसी की वजह से विटिलिगो हो गया। डॉक्टर मनोज जांगिड़ के अनुसार शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली, रासायनिक केमिकल्स के संपर्क में आने और किसी शारीरिक चोट के कारण भी विटिलिगो जैसी स्किन की बीमारी हो जाती है। इसके अलावा डॉक्टर का ये भी कहना है कि विटिलिगो के 30% मामलों में इसका सीधा संबंध आनुवंशिक कारणों से होता है।
विटिलिगो त्वचा बीमारी का असली कारण तनाव और विटामिन डी, विटामिन बी12 के साथ कैल्शियम की कमी भी हो सकती है। इसमें त्वचा का रंग बनाए रखने वाली कोशिकाएं (मेलानोसाइट्स) खत्म हो जाती हैं।
सफेद दाग यानी विटिलिगो से बचने के लिए आपको सफेद चीजें छोड़ने की जरूरत नहीं है। आपको बस अपनी डाइट में संतुलित आहार शामिल करना होगा। कुछ विशेषज्ञ सफेद दागों की स्थिति गंभीर न हो जाए, इसके लिए खट्टे फल, दही और ज्यादा नमक के सेवन से परहेज करने की सलाह देते हैं।