Heart Disease: भारत में दिल की बीमारी का खतरा हर जगह बराबर नहीं। South Indians में जेनेटिक और मेटाबॉलिक कारणों से रिस्क ज्यादा पाया गया।
Heart Disease: भारत में दिल की बीमारी सबसे बड़ा हेल्थ थ्रेट बनी हुई है। लेकिन एक नई बेंगलुरु-आधारित रिसर्च ने हैरान करने वाला सच सामने लाया है। देश में हर जगह दिल की बीमारी का खतरा एक-जैसा नहीं है। स्टडी में पाया गया कि दक्षिण भारतीयों में कई गंभीर हार्ट डिजीज का खतरा उत्तर भारतीयों के मुकाबले ज्यादा हो सकता है। इस खुलासे ने लोगों के मन में यह बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है और क्या इसकी वजह जीन यानी आनुवंशिक कारण हैं?
एक पीयर-रिव्यूड राष्ट्रीय स्टडी ‘Regional variations in cardiovascular risk factors in India’ के मुताबिक, दक्षिण भारत के कई राज्यों में हार्ट डिजीज से होने वाली मौतें उत्तर और मध्य भारत के मुकाबले ज्यादा पाई गईं। साफ है कि यहां बीमारी का जोखिम सिर्फ खान-पान, धूम्रपान या ब्लड प्रेशर के कारण नहीं है, बल्कि जीन, मेटाबॉलिज्म और लाइफस्टाइल भी बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।
इस शोध में पाया गया कि दक्षिण भारतीयों में कुछ खास जेनेटिक वेरिएंट्स ज्यादा पाए जाते हैं, जो गंभीर हार्ट डिज़ीज़ जैसे हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी (HCM) का खतरा बढ़ाते हैं। इसमें दिल की मांसपेशियां मोटी हो जाती हैं और कई बार बिना लक्षण दिखे अचानक दिल का दौरा या हार्ट फेलियर भी हो सकता है। यह चौंकाने वाली बात है क्योंकि ये जेनेटिक बदलाव अक्सर सामान्य टेस्ट में पकड़ में नहीं आते, इसलिए जोखिम और भी बढ़ जाता है।
जीन में बदलाव होने के चलते, कुछ खतरनाक जेनेटिक म्यूटेशन दक्षिण भारत में ज्यादा मिलते हैं। मेटाबॉलिक पैटर्न के कारण दक्षिण एशियाई समुदाय में ज्यादातर लोग जल्दी इंसुलिन रेसिस्टेंस, पेट पर चर्बी और बिगड़े हुए कोलेस्ट्रॉल स्तर का शिकार हो जाते हैं। लाइफस्टाइल के चलते लंबे समय तक बैठे रहना, तनाव, पैकेज्ड फूड और कम एक्टिविटी जोखिम को और बढ़ाते हैं।
पश्चिमी देशों के आधार पर बने टेस्ट इंडियन बॉडी टाइप के जेनेटिक पैटर्न को सही से पकड़ नहीं पाते।
यह स्टडी बताती है कि अब भारत को एक जैसी हेल्थ गाइडलाइन से काम नहीं चलेगा। हर राज्य और समुदाय की जेनेटिक बनावट अलग है, इसलिए स्क्रीनिंग भी अलग तरह से करनी होगी। अगर आपके परिवार में किसी को कम उम्र में दिल की बीमारी हुई है, अचानक बेहोशी की घटना होती है या ब्लड प्रेशर और शुगर जल्दी बढ़ते हैं, तो डॉक्टर से हार्ट स्कैन या जेनेटिक स्क्रीनिंग की सलाह लेनी चाहिए।
तली-भुनी चीजें कम खाएं, फल-सब्जियां और साबुत अनाज बढ़ाएं। रोज 30-45 मिनट एक्टिव रहें। ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच करवाएं। तनाव कम करें और नींद पूरी लें, धूम्रपान और शराब से दूर रहें। फैमिली हिस्ट्री छुपाएं नहीं डॉक्टर को जरूर बताएं।
दक्षिण भारतीयों में हार्ट डिजीज का जोखिम थोड़ा ज्यादा हो सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि बीमारी होना तय है। सही समय पर टेस्ट, जागरूकता और लाइफस्टाइल की छोटी-छोटी बदलाव दिल को सुरक्षित रख सकते हैं। जानना ही बचाव है, और समय रहते कदम उठाना सबसे बड़ी सुरक्षा।