Weight Gain Control: वैज्ञानिकों ने SCoR2 नाम का एंजाइम खोजा है जो शरीर में फैट, कोलेस्ट्रॉल और लिवर हेल्थ को कंट्रोल करता है। जानिए मोटापे के इलाज में यह खोज क्यों है बड़ी।
Weight Gain Control: सोचिए अगर हमारे शरीर में एक ऐसा छुपा हुआ स्विच हो, जो यह तय करता हो कि फैट कब जमा करना है और कब नहीं। और अगर उस स्विच को बंद कर दिया जाए, तो बिना सख्त डाइट या घंटों की एक्सरसाइज के वजन बढ़ना रुक जाए, कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहे और लिवर भी सुरक्षित रहे। सुनने में फिल्मी लगता है, लेकिन वैज्ञानिकों की एक नई स्टडी यही इशारा कर रही है।
23 दिसंबर 2025 को Science Signaling नाम की जानी-मानी साइंटिफिक जर्नल में छपी इस रिसर्च में वैज्ञानिकों ने एक नए एंजाइम की पहचान की है, जिसका नाम है SCoR2। यह एंजाइम शरीर में फैट बनने और जमा होने की प्रक्रिया को कंट्रोल करता है। आसान भाषा में कहें तो, शरीर को फैट बनाने के लिए इस एंजाइम की जरूरत होती है।
इस स्टडी के मुताबिक, SCoR2 एक तरह से “मॉलिक्यूलर स्विच” की तरह काम करता है। यह फैट और कोलेस्ट्रॉल बनाने से जुड़े कुछ प्रोटीन से नाइट्रिक ऑक्साइड हटाता है। जब SCoR2 एक्टिव होता है, तो शरीर की फैट बनाने वाली मशीनरी चालू हो जाती है। लेकिन जब वैज्ञानिकों ने इस एंजाइम को ब्लॉक किया, तो चौंकाने वाले नतीजे सामने आए। हाई-फैट डाइट लेने के बावजूद जानवरों का वजन कम बढ़ा, उनका खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) भी घटा और लिवर को नुकसान से बचाव हुआ। इसका मतलब यह हुआ कि मोटापा सिर्फ “ज्यादा खाना और कम चलना” नहीं है। इसके पीछे शरीर के अंदर चल रही जटिल जैविक प्रक्रियाएं भी बड़ी भूमिका निभाती हैं।
आज पूरी दुनिया मोटापा, डायबिटीज, हार्ट डिजीज और फैटी लिवर जैसी समस्याओं से जूझ रही है। अब तक इलाज का फोकस डाइट कंट्रोल और लाइफस्टाइल पर रहा है। लेकिन यह स्टडी बताती है कि अगर शरीर के अंदर फैट कंट्रोल करने वाले एंजाइम्स को सही तरीके से मैनेज किया जाए, तो इलाज का तरीका पूरी तरह बदल सकता है। सबसे खास बात यह है कि SCoR2 को रोकने से सिर्फ वजन ही नहीं, बल्कि कोलेस्ट्रॉल और लिवर की सेहत में भी सुधार देखा गया। यानी भविष्य में ऐसी दवाएं आ सकती हैं जो एक साथ वजन, दिल और लिवर तीनों की सुरक्षा करें।
नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है। यह रिसर्च अभी शुरुआती स्टेज में है और फिलहाल जानवरों पर हुई है। इंसानों पर ट्रायल होना अभी बाकी है। लेकिन यह खोज यह जरूर बताती है कि मेटाबॉलिक हेल्थ सिर्फ इच्छाशक्ति की बात नहीं, बल्कि शरीर की बायोलॉजी से भी गहराई से जुड़ी हुई है।