Sleep Viral Rule: 10-3-2-1 Sleep रूल नींद सुधारने का वायरल तरीका है। जानें इसके पीछे की साइंस, ब्लू लाइट, कैफीन, वर्क और डिनर टाइमिंग कैसे नींद पर असर डालते हैं।
Sleep Viral Rule: क्या 10-3-2-1 वाला रूल सच में आपकी नींद को बेहतर बना सकता है? सोशल मीडिया पर यह नियम काफी वायरल है, लेकिन क्या यह सच में काम करता है या सिर्फ एक और ट्रेंड है? साइंस क्या कहती है। आइए आसान भाषा में समझते हैं।
इस रूल का मतलब सिर्फ जल्दी सो जाना नहीं है, बल्कि शरीर और दिमाग को धीरे-धीरे सोने के लिए तैयार करना है। हर स्टेप आपकी नींद की क्वालिटी को बेहतर बनाने की कोशिश करता है।
10 घंटे पहले: कैफीन बंद
3 घंटे पहले: भारी खाना और शराब बंद
2 घंटे पहले: काम या दिमागी मेहनत बंद
1 घंटा पहले: मोबाइल, टीवी, स्क्रीन बंद
10 घंटे पहले कैफीन बंद क्यों?
एक 2023 की स्टडी बताती है कि कैफीन लेने से सोने में ज्यादा समय लगता है, नींद हल्की हो जाती है, और बीच-बीच में उठने की दिक्कत बढ़ जाती है। साइंस के मुताबिक, ज्यादातर लोगों को सोने से लगभग 9 घंटे पहले कैफीन बंद कर देनी चाहिए। इसलिए 10 घंटे पहले वाला नियम काफी हद तक सही बैठता है।
संशोधनों से पता चला है कि सोने से पहले शराब पीने से नींद की गुणवत्ता बिगड़ जाती है। शुरुआत में नींद तो आती है, लेकिन नींद गहरी नहीं होती। वहीं, भारी खाना सोने से 2–3 घंटे पहले खाने से एसिडिटी, पेट भारी लगना, और नींद टूटने जैसी दिक्कतें होती हैं। इसलिए सोने से 3 घंटे पहले खाना बंद करने वाली सलाह काफी सही है।
अगर आप सोने से पहले ईमेल, ऑफिस वर्क या बहुत सोच-विचार वाली चीज़ें करते हैं, तो आपका दिमाग एक्टिव हो जाता है।
साइंस बताती है कि दिमाग का ज्यादा एक्टिव होना नींद आने में देरी करता है। यही कारण है कि इंसोम्निया (नींद न आना) के इलाज में भी दिमाग को शांत करने की तकनीकें शामिल की जाती हैं। इसलिए 2 घंटे पहले दिमागी काम से ब्रेक लेना नींद में मदद करता है।
मोबाइल, टीवी और लैपटॉप की स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट हमारे शरीर में मेलाटोनिन नाम का नींद वाला हार्मोन कम कर देती है। मेलाटोनिन कम होगा तो नींद आने में टाइम लगेगा। कई स्टडीज ने साबित किया है कि सोने से एक घंटा पहले स्क्रीन बंद करने से जल्दी नींद आती है, और नींद की क्वालिटी बेहतर होती है।
यह कोई चमत्कारी इलाज नहीं है और न ही हर किसी के लिए परफेक्ट सॉल्यूशन। लेकिन इसकी खास बात यह है कि यह चार ऐसी आदतों को एक आसान रूटीन में जोड़ देता है, जिन्हें साइंस सपोर्ट करती है। अगर आपको हल्की-फुल्की नींद की दिक्कत है, तो यह रूल आपके लिए काफी मददगार हो सकता है। लेकिन अगर आपको गंभीर नींद की बीमारी है, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।