स्वास्थ्य

World Brain Day 2025: देर रात तक जागना बन सकता है ब्रेन हेल्थ के लिए खतरा, जानिए कैसे

World Brain Day 2025: आजकल की बिजी और डिजिटल लाइफस्टाइल में लोगों का सोने का समय काफी बिगड़ चुका है, जिससे कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। आइए जानते हैं कि नींद पूरी न होने से ब्रेन पर क्या असर पड़ता है।

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Jul 22, 2025
How late-night habits affect the brain फोटो सोर्स – Freepik

World Brain Day 2025: हर साल 22 जुलाई को World Brain Day मनाया जाता है, जिसका मकसद है लोगों को मानसिक स्वास्थ्य और दिमागी बीमारियों के प्रति जागरूक करना। इस साल 2025 की थीम "Brain Health for All Age " पर केंद्रित है, जो हमें यह याद दिलाती है कि स्वस्थ मस्तिष्क ही जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है। लेकिन मॉडर्न लाइफस्टाइल में देर रात तक जागना एक सामान्य आदत बनती जा रही है, जो धीरे-धीरे दिमाग के लिए ज़हर की तरह काम कर सकती है। अगर आप भी देर रात तक फोन, लैपटॉप या टीवी में डूबे रहते हैं, तो सावधान हो जाइए । यह आदत आपके ब्रेन हेल्थ को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकती है।

देर रात तक जागने से ब्रेन हेल्थ पर कैसे पड़ता है असर?

ब्रेन की रिपेयर प्रक्रिया होती है बाधित


रात को सोते समय दिमाग खुद को साफ और ठीक करने का काम करता है। अगर नींद पूरी न हो, तो यह प्रक्रिया रुक जाती है, जिससे याददाश्त, फोकस और सोचने की क्षमता पर असर पड़ता है।

नींद की कमी से बढ़ता है तनाव हार्मोन


नींद न मिलने पर शरीर में कॉर्टिसोल नामक तनाव हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है। इससे मस्तिष्क में सूजन हो सकती है और मानसिक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जैसे एंग्जायटी, डिप्रेशन और क्रॉनिक थकान।

सर्केडियन रिदम होता है डिस्टर्ब


हमारा शरीर एक सर्केडियन क्लॉक के अनुसार काम करता है जो नींद और जागने का चक्र नियंत्रित करता है। देर रात जागने से यह क्लॉक असंतुलित हो जाती है जिससे आपकी पूरी मानसिक स्थिति पर असर पड़ता है और अगला दिन भी थकावट और चिड़चिड़ेपन में गुजरता है।

याददाश्त और सोचने की क्षमता पर असर


नींद के दौरान दिमाग दिनभर की जानकारी को प्रोसेस करता है और यादों को स्टोर करता है। अगर आप देर रात तक जागते हैं और पूरी नींद नहीं लेते, तो दिमाग ठीक से काम नहीं कर पाता, जिससे याददाश्त पर असर पड़ता है।

कैसे कंट्रोल करें देर रात तक जागने की आदत?

फिक्स करें सोने और जागने का समय


हर दिन एक निश्चित समय पर सोने और जागने की आदत बनाएं। इससे सर्केडियन रिदम बैलेंस में रहता है और दिमाग को पूरा आराम मिलता है।

स्क्रीन टाइम करें कम


सोने से कम से कम एक घंटा पहले मोबाइल, लैपटॉप या टीवी जैसी स्क्रीन से दूरी बनाएं। इससे मेलाटोनिन हार्मोन बेहतर तरीके से काम करता है, जो नींद के लिए ज़रूरी है।

रात में भारी खाना न खाएं


रात के समय तला-भुना या भारी भोजन करने से नींद में बाधा आती है। हल्का और सुपाच्य खाना खाएं जिससे पाचन आसान हो और नींद अच्छी आए।

बिस्तर पर जाएं तो रिलैक्स रहें


बेडरूम का माहौल शांत, अंधेरा और ठंडा रखें। आप चाहें तो सोने से पहले किताब पढ़े या मेडिटेशन करें ताकि मन शांत हो और जल्दी नींद आए।

दिन में करें फिजिकल एक्टिविटी


दिनभर की फिजिकल एक्टिविटी (जैसे वॉकिंग, योगा, एक्सरसाइज) से शरीर थकता है और नींद जल्दी आती है। इससे ब्रेन को भी गहरी नींद मिलती है।

डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।

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