Land Pooling Act - संशोधित नोटिफिकेशन के खिलाफ इंदौर हाईकोर्ट में किसानों ने याचिका दायर की
Land Pooling Act - एमपी में लैंड पूलिंग एक्ट पर सरकार और किसानों की रस्साकशी बरकरार है। इसके अंतर्गत उज्जैन में सिंहस्थ क्षेत्र की जमीनों का अधिग्रहण किया जाना था। किसानों के जबर्दस्त विरोध के बाद सरकार ने अपने कदम पीछे खींचते हुए इसमें संशोधन कर दिया। हालांकि किसान इससे संतुष्ट नहीं हैं और स्थायी निर्माण पर आपत्ति जता रहे हैं। किसानों ने बड़ा कदम उठाते हुए इस संबंध में सरकारी आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। लैंड पूलिंग एक्ट के खिलाफ 26 किसानों की ओर से इंदौर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है।
हाईकोर्ट के जस्टिस विजय कुमार शुक्ला और जस्टिस आलोक अवस्थी की युगलपीठ ने सुनवाई की, लेकिन उज्जैन डेवलपमेंट अथॉरिटी की ओर से किसी के पेश नहीं होने पर याचिका की प्रति सोमवार तक देने के आदेश दिए हैं। अगली सुनवाई 27 नवंबर को होगी।
अभिभाषक विजय आसुदानी ने बताया कि सिंहस्थ क्षेत्र को लेकर पूर्व में प्रावधान था कि सरकार द्वारा चिन्हित जमीन लेकर मेले के समय तैयारी की जाती थी। मेला समाप्त होने के बाद वापस जमीन पर काबिज होकर किसान फसलें लेते थे। इस जमीन पर केवल सिंहस्थ के दौरान अस्थायी निर्माण होता था। पिछले दिनों सरकार ने नई लैंड पुलिंग योजना लागू की है। इसमें मेला क्षेत्र की जमीनों का सरकार अधिग्रहण करने जा रही है। इस योजना में सरकार ने नियम बनाया है कि जमीनों का अधिग्रहण करने के साथ ही किसानों की 50 फीसदी जमीन मिलेगी। अधिग्रहित जमीन पर परमानेंट निर्माण की अनुमति रहेगी। किसान इसका विरोध कर रहे हैं।
पिछले दिनों मंच से मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस योजना को वापस लेने की घोषणा की थी, लेकिन संशोधित नोटिफिकेशन में कई खामियां थीं। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पूरी परियोजना के नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई है। साथ ही जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई रोकने का अनुरोध किया गया है।
मामले में विरोध की स्थिति को देखते हुए उज्जैन विकास प्राधिकरण ने हाईकोर्ट में कैविएट याचिका दायर की थी। इसके चलते कोर्ट ने उज्जैन विकास प्राधिकरण को भी सुनवाई का अवसर दिया है।