MP High Court: महाकाल मंदिर गर्भगृह में वीआईपी एंट्री पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा। याचिका में आरोप- नेताओं, व्यापारियों व अफसरों के परिजन को वीआईपी बनाकर अंदर ले जाया जाता है।
Mahakal VIP Entry: महाकाल मंदिर के गर्भगृह में वीआइपी के प्रवेश का मामला हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में पहुंचा। इंदौर के दर्पण अवस्थी की जनहित याचिका पर दलील दी गई कि महाकाल मंदिर में आम जनता खड़ी रहती है। नेता पुत्र, व्यापारी व अफसरों के परिजन को वीआईपी बताकर गर्भगृह में प्रवेश करा दिया जाता है। ये आम श्रद्धालुओं के साथ अन्याय है। हमारी भी महाकाल में श्रद्धा है तो हमें क्यों रोका जा रहा है। मंदिर में सभी के लिए एक समान व्यवस्था होनी चाहिए। जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की युगलपीठ ने याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। (MP High Court)
अवस्थी के वकील चर्चित शास्त्री ने कोर्ट को बताया, महाकाल मंदिर में वीआइपी के नाम पर मनमजी चल रही है। आम श्रद्धालुओं को व्यवस्था के नाम पर रोका जा रहा है। कुछ को गर्भगृह में ले जाकर दर्शन करवाए जा रहे हैं। पिछले दिनों सराफा व्यापारी एसोसिएशन अध्यक्ष को गर्भगृह में दर्शन कराए गए। एक नेता पुत्र के लिए मंदिर का लाइव टेलीकास्ट रोका गया। गर्भगृह में अभिषेक किया।
कोर्ट ने सवाल पूछा, आप आरोप लगा रहे हैं तो वकील ने बताया- हमने आरटीआइ में दिन और समय लिखकर पूछा था कि सराफा व्यापारी को किस आधार पर अनुमति दी गई, लेकिन जवाब मैं जानकारी नहीं दी गई। एक अधिकारी के परिजन को भी मंदिर में गर्भगृह के अंदर ले जाकर दर्शन कराए गए है। इस पर कोर्ट ने पूछा कि वहां के नियम में होगा, कलेक्टर को अनुमति का अधिकार है। इस पर वकील ने बताया, केवल वीआईपी जैसे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री आदि के लिए अनुमति देने का अधिकार है। सराफा व्यापारी, नेता पुत्र, अफसरों के परिजन कैसे वीआईपी हो गए। नियमों का पालन सभी के लिए जरूरी हो या सभी को दर्शन की अनुमति दी जाए।