MP High Court: स्टाफ नर्स की याचिका पर एमपी हाईकोर्ट का फैसला, उज्जैन के आयुर्वेद विभाग के मामले पर कोर्ट की टिप्पणी नहीं किया जा सकता योजना के लाभ से वंचित...
MP High Court: नौकरी में आने से पहले भी यदि कोई नसबंदी कराता है तो उसे नसबंदी के तहत दी जाने वाली वेतनवृद्धि सहित अन्य लाभों से वंचित नहीं किया जा सकता है। यह फैसला हाईकोर्ट ने सुनाया है।
उज्जैन में स्टाफ नर्स गौरी सक्सेना को आयुर्वेद विभाग ने नसबंदी कराने के बाद वेतन वृद्धि दी थी। लेकिन 13 साल बाद यह कहते हुए उन पर 2 लाख 51 हजार 038 रुपए की रिकवरी निकाल दी कि उन्होंने नौकरी में आने से पहले नसबंदी कराई थी। ऐसे में योजना की पात्रता नहीं है।
गौरी सक्सेना ने इंदौर हाई कोर्ट में चुनौती दी। लगभग दो साल चले केस के बाद कोर्ट ने विभाग के आदेश और रिकवरी को खत्म कर दिया। टिप्पणी की, यदि कोई व्यक्ति, चाहे वह सरकारी कर्मचारी हो या न हो, परिवार नियोजन के लिए ऑपरेशन करवाता है तो उन्हें योजना के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता।
परिवार नियोजन अपनाने वाले सरकारी कर्मचारियों को अग्रिम वेतन वृद्धि का प्रावधान भी है। क्योंकि सरकार का अंतिम उद्देश्य परिवार नियोजन के जरिए जन्म दर और जनसंख्या विस्फोट को नियंत्रित करना है।