MP High Court: दिल्ली ब्लास्ट में कनेक्शन निकलने के बाद, जारी किया गया था डिमोलेशन नोटिस, एमपी हाईकोर्ट ने 15 दिन की अंतरिम राहत, अगली सुनवाई 15 दिन बाद...
Delhi Blast: अल फलाह यूनिवर्सिटी के चांसलर जवाद अहमद सिद्दीकी को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। महू कैंटोनमेंट बोर्ड की ओर से जारी किए गए डिमोलेशन नोटिस के खिलाफ दी गई याचिका पर कोर्ट ने 15 दिन का अंतरिम स्टे दि दिया है। स्टे के बाद अब महू स्थित जावद के पैतृक घर पर प्रस्तावित तोड़फोड़ की कार्रवाई फिलहाल रोक दी गई है।
महू कैंटोनमेंट बोर्ड ने हाल ही में सिद्दीकी के चार मंजिला पैतृक मकान में अवैध निर्माण पाए जाने पर नोटिस जारी किया था। बोर्ड ने तीन दिन का समय देते हुए कहा था कि अवैध हिस्से खुद हटाएं अन्यथा बुलडोजर कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि ये मकान स्थानीय स्तर पर मौलाना की बिल्डिंग नाम से जाना जाता है।
इंदौर हाईकोर्ट में सिद्दीकी परिवार की ओर से बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ याचिका दायर की थी। अदालत ने इस पर शुक्रवार को हुई सुनवाई में सिद्दीकी को अंतरिम राहत देते हुए बुलडोजर कार्रवाई पर फिलहाल रोक लगा दी है। अगली सुनवाई 15 दिन बाद होगी, जिसमें तय होगा कि बुलडोजर कार्रवाई की तारीख आगे बढ़ेगी या नहीं। सुनवाई के बाद कोर्ट ने प्रशासन को इस तरह की किसी भी कार्रवाई न करने के निर्देश दिए हैं।
सिद्दीकी भाई दिल्ली ब्लास्ट के बाद कई जांचों के कारण सुर्खियों में हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हिरासत में लिया था। यूनिवर्सिटी पर फंडिंग, संचालन और मान्यता मामले को लेकर कई एजेंसियों की नजर उन पर है। इसी दौरान महू कैंटोनमेंट बोर्ड की तरफ से यह डिमोलेशन नोटिस जारी किया गया था, जिससे विवाद और गरमा गया है।
दरअसल कैंट बोर्ड को सर्वे, नक्शे और अवैध निर्माण करने के सबूत कोर्ट में रखने होंगे। सिद्दीकी की ओर से निर्माण को वैध ठहराने के लिए दस्तावेज पेश किए जाएंगे। 15 दिन बाद होने वाली सुनवाई में हाईकोर्ट तय करेगा कि निर्माण अवैध है या फिर जल्दबाजी में प्रशासन ये कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है।
बता दें कि जावद अहमद सिद्दीकी को 10 नवंबर को हुए लाल किला धमाके (Delhi Blast) की जांच कर रही ED टीम ने 19 नवंबर को गिरफ्तार किया था। अधिकारियों का कहना है कि यह कदम आतंकवाद की फंडिंग से जुड़े़ नेटवर्क को तोड़ने के लिए उठाया गया है। NIA समेत सुरक्षा एजेंसियां इस दिशा में भी जांच कर रही हैं कि दिल्ली ब्लास्ट करने वालों के खाते में मनी लॉन्ड्रिंग का पैसा पहुंचाया गया है? क्या ये फंड अन्य आतंकी गतिविधियों में भी इस्तेमाल हुआ है? ED संदिग्ध खातों और वित्तीय लेन देन की भी गहन जांच कर रही है। फिलहाल जवाद ईडी की हिरासत में है। उसे 13 दिन के लिए 19 नवंबर से 1 दिसंबर 2025 तक रिमांड पर लिया गया है।
जवाद की गिरफ्तारी से पहले NCR में 25 ठिकानों पर छापामारी की थी, जिसमें अल फलाह के ट्रस्टी होने की बात सामने आई फिर ED ने इससे जुड़ी अन्य जगहों पर भी छापामारी कर 48 लाख रुपए की नकदी भी जब्त की थी। उसके बाद जवाद को गिरफ्तार किया गया था। सवाल ये भी उठ रहा है कि छोटा सा कॉलेज चलाने वाला जवाद अचानक 250 करोड़ की अल-फलाह यूनिवर्सिटी का मालिक कैसे बन गया?