MP High Court on SIR: राज्य निर्वाचन आयोग और मप्र नगर पालिका अधिनियम के नियमों में विरोधाभास से मतदाता सूची पर आपत्ति लेना हुआ मुश्किल, सुनवाई के दौरान बैक फुट पर सरकार ...
MP High Court on SIR Rules: स्पेशल इंसेंटिव रिवीजन (एसआइआर) के लिए बनाए गए नियमों को लेकर मप्र हाईकोर्ट में दायर याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। जस्टिस विजय कुमार शुक्ला और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की युगलपीठ के समक्ष सरकार ने अपने कदम पीछे ले लिए हैं। कोर्ट में सरकार ने माना कि चुनाव और मतदाता सूची दोनों अलग-अलग प्रक्रिया है। इसके बाद कोर्ट ने सरकार, चुनाव आयोग सहित इंदौर के सभी रिटर्निंग अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
अभिभाषक विभोर खंडेलवाल और जयेश गुरनानी ने बताया कि राज्य निर्वाचन आयोग और मप्र नगर पालिका अधिनियम के नियमों में विरोधाभास होने से मतदाता सूची पर आपत्ति लेना मुश्किल हो गया है। ऐसी ही परेशानी को लेकर कांग्रेस नेता दिलीप कौशल की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। पिछली सुनवाई पर सरकार ने याचिका को गलत बताते हुए आपत्ति ली थी कि मतदाता सूची के आधार पर ही चुनाव होते हैं और चुनाव की प्रक्रिया को केवल चुनाव याचिका के द्वारा ही कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
बुधवार को सुनवाई के दौरान सरकार ने अपनी आपत्ति वापस ले ली। याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट के फैसले कोर्ट के समक्ष रखे गए, जिसमें कहा है कि मतदाता सूची पुनरीक्षण का काम हर साल होता है और चुनाव पांच साल में एक बार, इसलिए दोनों अलग-अलग हैं। मतदाता सूची को चुनाव प्रक्रिया का हिस्सा नहीं माना जा सकता।
कोर्ट को बताया गया कि निर्वाचन आयोग के वकील को याचिका की एडवांस कॉपी दे दी है। इसके बाद कोर्ट ने सरकार और मप्र मतदाता सूची पर आपत्ति लेना मुश्किल निर्वाचन आयोग को भी नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। इस मामले में जनवरी के दूसरे सप्ताह में सुनवाई होगी।