MP News: केंद्र सरकार बिजली अधिनियम 2003 में संशोधन की प्रक्रिया में है। प्रस्तावित बदलावों से राज्यों की वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) में निजी क्षेत्र की भागीदारी का रास्ता खुल जाएगा।
MP News: बिजली वितरण प्रणाली में ‘सुधार’ की आड़ में मध्यप्रदेश में बिजली वितरण का काम निजी कंपनियों को देने की तैयारी की जा रही है। यानि, विद्युत पोल, मीटर और तार तो बिजली कंपनी के रहेंगे, लेकिन बिल वसूली और वितरण का संचालन निजी कंपनी संभालेंगी। सरकारी संसाधनों से निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने का यह कदम न केवल वितरण कंपनियों के अस्तित्व को चुनौती देगा, बल्कि बिजली को भी आम उपभोक्ता के लिए महंगी बना सकता है।
केंद्र सरकार बिजली अधिनियम 2003 में संशोधन की प्रक्रिया में है। प्रस्तावित बदलावों से राज्यों की वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) में निजी क्षेत्र की भागीदारी का रास्ता खुल जाएगा। इसके लिए राज्यों से सुझाव मांगे गए हैं। उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार राज्यों को बिजली के लिए ग्रांट प्रदान करती है।
बिजली क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों के अनुसार सरकार से सब्सिडी का भुगतान समय पर नहीं होता। यदि सरकारी विभाग अपना पूरा बिजली बिल चुकाएं, सब्सिडी का पैसा समय पर मिले और बिजली चोरी रुके, तो किसी ग्रांट या निजी कंपनी की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। इससे उपभोक्ताओं को भी फायदा होगा और सस्ती बिजली मिल सकेगी।
प्राइवेट कंपनियां पहले सस्ती दरों से उपभोक्ताओं को लुभाएंगी, फिर धीरे-धीरे दाम बढ़ाकर भारी बिल थोपेंगी। इससे सरकारी कंपनियों और कर्मचारियों का भविष्य भी संकट में आ सकता है। हादसों का खतरा और कानूनी विवाद भी बढ़ सकते हैं।- राजेंद्र अग्रवाल, रिटायर्ड अतिरिक्त मुख्य अभियंता, पावर जनरेशन
मध्य प्रदेश में सागर और उज्जैन में भी निजी कंपनी का प्रयोग किया जा चुका है। गोयनका कंपनी को वितरण का जिम्मा मिला था, लेकिन बाद में वह वसूली कर गायब हो गई, नुकसान की भरपाई सरकार को करनी पड़ी। दिल्ली, मुंबई, गोवा, चंडीगढ़ और पांडिचेरी में पहले ही बिजली वितरण निजी हाथों में है। यहां दरें 10 से 12 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंच चुकी हैं।
निजी कंपनी का दावा मजबूत करने इसे उपभोक्ता के लिए विकल्प के तौर पेश किया जा रहा है। उपभोक्ता को जहां से सस्ती बिजली मिलेगी, वहां से बिजली खरीदी जा सकेगी। पर विशेषज्ञों का कहना है कि शुरुआत में निजी कंपनियां सस्ती बिजली देकर उपभोक्ताओं को आकर्षित करेंगी, लेकिन बाद में रेट बढ़ाकर मनमानी करेंगी। इसका खामियाजा सीधे मध्यम और निम्न वर्ग को भुगतना पड़ेगा।