Medical University : देश में सबसे पहले इस मेडिकल यूनिवर्सिटी ने कराई हिंदी में परीक्षा, मेडिकल की पढ़ाई में भाषा का विकल्प 8 प्रतिशत छात्रों ने हिन्दी में लिखे उत्तर
Medical University : मेडिकल की पढ़ाई में भाषा का विकल्प मिला तो मेडिकल यूनिवर्सिटी के 200 से अधिक छात्रों ने हिन्दी में पढ़ाई और परीक्षा का विकल्प चुना। हालिया हुई परीक्षाओं में एमबीबीएस प्रथम वर्ष में करीब 2500 छात्रों में करीब 8 प्रतिशत छात्रों ने पहली बार हिन्दी में उत्तर लिखे। देश में सबसे पहले हिन्दी में परीक्षा आयोजित करने का श्रेय मेडिकल को हासिल हुआ है। मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर की इस पहल से प्रभावित होकर राजस्थान की यूनिवर्सिटी ने भी एमबीबीएस के छात्रों को हिन्दी में भी परीक्षा देने का विकल्प उपलब्ध कराने के लिए एमयू से हिन्दी के पेपर मांगे हैं।
Medical University : हिन्दी में समझने में आसानी
मेडिकल की पढ़ाई में भाषा बैरियर न बने इस उद्देश्य को लेकर हिन्दी में एनाटमी, फिजियोलॉजी, बायो केमेस्ट्री, पैथोलॉजी, फार्माकोलॉजी, माइक्रो बॉयोलॉजी के पाठ्यक्रम का हिन्दी में अनुवाद किया गया। छात्रों को अंग्रेजी-हिन्दी दोनों में से किसी भी माध्यम में पढ़ाई करने व परीक्षा देने का विकल्प उपलब्ध कराया गया। हिन्दी में पाठ्यक्रम उपलब्ध होने से हिन्दी माध्यम के छात्रों को पढ़ाई में मदद मिल रही है। हालांकि छात्रों का मानना है कि हिन्दी में मेडिकल पाठ्यक्रम की पुस्तकों की संख्या बढऩे पर उन्हें और बेहतर स्टडी मटेरियल मिल सकेगा।
16 मेडिकल कॉलेज एमयू से संबद्ध
2500 छात्र मेडिकल कॉलेजों में अध्ययरत
200 से ’यादा छात्रों ने हिन्दी में दिए पेपर
छात्र बोले- समझना और लिखन आसान, भाषाई त्रुटि का भी डर नहीं
हिन्दी मीडियम के छात्रों को पढ़ाई में मिल रही है मदद
कई विषयों की किताबें हिन्दी में उपलब्ध, हालांकि सुधार की गुंजाइश
मेडिकल छात्र हिन्दी पढ़ाई के साथ परीक्षा दे रहे हैं। दो सौ से ज्यादा छात्रों ने हिन्दी में परीक्षा दी है। इस दिशा में देश में सबसे पहले जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी ने शुरुआत की है। राजस्थान की यूनिवर्सिटी ने भी हिन्दी में परीक्षा शुरू कराने यहां से पेपर मांगे हैं।
डॉ.पुष्पराज बघेल, रजिस्ट्रार, मेडिकल यूनिवर्सिटी
मेडिकल की पढ़ाई व परीक्षा हिन्दी में कराने से छात्रों को अपनी भाषा में परीक्षा देने का विकल्प मिल गया है। इससे हिन्दी माध्यम के उन छात्रों को भी पढ़ाई में मदद मिलेगी जिन्हें शुरुआती पढ़ाई के दौरान कठिनाई होती थी।
डॉ.आरएस शर्मा, पूर्व कुलपति मेडिकल यूनिवर्सिटी