जगदलपुर

एक विवाह ऐसा भी…. बेटे की मौत के बाद सास-ससुर ने बहू का किया कन्यादान, हर तरफ हो रही जमकर तारीफ

Positive News: विवाह के दौरान देवांगन दंपत्ति ने अपनी विधवा पुत्रवधु की माता पिता बन कन्यादान करते हुए अपनी बेटी की तरह अपने घर से विदाई किया।

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Jul 07, 2025
सीता श्यामलाल देवांगन व परिजन (फोटो सोर्स- पत्रिका)

Jagdalpur News: सामाजिक बाधाएं व रूढ़िवादी सोच के चलते एक ओर विधवाओं के पुनर्विवाह मुश्किल होता है। वहीं कोरोना काल में अपने बेटे को खोने के बाद बहू की बेरंग जिंदगी में रंग भरने की पहल करते हुए शहर की सीता-श्यामलाल देवांगन ने अपनी विधवा बहू गायत्री का आशीष के साथ पुनर्विवाह कर एक अनुकरणीय मिसाल प्रस्तुत किया है।

विवाह के दौरान देवांगन दंपत्ति ने अपनी विधवा पुत्रवधु की माता पिता बन कन्यादान करते हुए अपनी बेटी की तरह अपने घर से विदाई किया। उनके इस सकारात्मक संदेश की पूरे शहर में सराहना हो रही है वहीं लोगों का कहना है कि यह कदम न केवल विधवाओं के लिए एक नई शुरूआत होगी, वहीं पति खो चुकी महिलाओं के प्रति समाज में समान और प्रेम की भावना भी बढ़ेगी। इस विवाह में परिवार और समाज के लोगों ने शिरकत कर नव दपत्ति को आशीर्वाद प्रदान किया।

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बहू का कन्यादान

घर में बेटी की तरह रह रही विधवा बहू के जिंदगी में रोैशनी लाने की नीयत से श्यामलाल देवांगन ने बहू के लिए न सिर्फ रिश्ता ढूंढ़ा बल्कि रिश्ता तय होने के बाद बेटी की तरह पूरे रीति रिवाज से उसका विवाह किया। विवाह समारोह में सीता-श्याम लाल देवांगन ने पूरे विधि विधान के साथ माता-पिता का फर्ज निभाते हुए अपनी पुत्रवधू गायत्री का कन्यादान किया। इसके लिए बकायदा उन्होंने अपने सगा संबंधी और समाज के लोगों को आमंत्रित किया और दूल्हा दुल्हन को आशीर्वाद देने पहुंचे लोगों से उपहार में केवल एक रूपए ही स्वीकार किया। उनके इस अनुकरणीय पहल की चारों ओर चर्चा हो रही है।

पुत्र की कोरोना से हुई थी मौत

जगदलपुर निवासी श्यामलाल देवांगन ने बताया कि उनके इकलौते बेटे पारस देवांगन की मौत कोरोना काल में हुई थी। उनका विवाह रायगढ़ के चुन्नी हरिलाल देवांगन की पुत्री गायत्री के साथ हुआ था। विवाह के बाद करोना काल में इकलौते बेटे पारस देवांगन की मौत के बाद वह पूरी तरह टूट चुके थे।

अपनी विधवा बहू को देखकर उनकी आंखे भर आती थी। गायत्री, पति की मौत के बाद सास ससुर की सेवा में लीन हो गई। उसकी हर संभव कोशिश थी कि सास ससुर को बेटे के जाने के सदमे से निकाले। यही वजह है कि गायत्री ने एक बेटी की तरह अपने सास ससुर की सेवा कर समय बिता रही थी।

Updated on:
07 Jul 2025 05:50 pm
Published on:
07 Jul 2025 05:49 pm
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