Voter list controversy: कांग्रेस ने BJP पर वोटर लिस्ट से विधायकों सहित गरीब और आदिवासी मतदाताओं के नाम कटवाने का आरोप लगाया। बस्तर में सचिन पायलट ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए।
Voter list controversy: छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रभारी एवं पार्टी महासचिव सचिन पायलट ने गुरुवार को बस्तर पहुंचकर स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (एसआईआर) कार्यक्रम को वोट सप्रेशन का हथकंडा करार देते हुए कड़ा विरोध दर्ज किया। पत्रवार्ता में पायलट ने निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा कि लाखों गरीब, आदिवासी और असहाय लोगों के नाम वोटर लिस्ट से कटवाने का यह षड्यंत्र लोकतंत्र के लिए खतरा है।
उनके साथ विधानसभा नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत, पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज और अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। प्रदेश प्रभारी सचिन पायलेट के दौरे को लेकर कांग्रेसियों ने जबरदस्त तैयारी कर रखी थी। बुधवार की रात जैसे ही प्रदेश प्रभारी का काफिला महाराणा प्रताप चौक पहुंचा यहां मौजूद कार्यकर्ताओं ने जबरदस्त स्वागत किया।
नक्सली हिड़मा के एनकाउंटर और कांग्रेस के कथित समर्थन के आरोप पर पायलट ने साफ लफ्जों में खारिज किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा नक्सलवाद, आतंकवाद और अलगाववाद का मुकाबला किया है। हमारे नेताओं ने जान गंवाई, लेकिन सर नहीं झुकाया। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद से हमारी पूरी पीढ़ी खो गई। हम कैसे समर्थन करेंगे? हिंसा का सहारा लेने वालों पर सख्त कार्रवाई जरूरी है। देश और राष्ट्र सुरक्षा सबसे ऊपर है।
चरणदास महंत ने एक चौंकाने वाले उदाहरण से एसआईआर की खामियों को उजागर किया। उन्होंने बताया कि मेरे लोकसभा क्षेत्र भरतपुर विधानसभा के पूर्व विधायक गुलाब सिंह कमरो ने तीन बार विधानसभा चुनाव लड़ा। उनके गांव सारही में एसआईआर के दौरान अधिकारी पहुंचे तो उन्होंने अपना आवेदन दिया। लेकिन अगले दिन बीएलओ ने कहा कि उनका नाम इस गांव में शामिल नहीं है।
जांच पर पता चला कि उनका नाम किसी अन्य गांव में गलत तरीके से शिफ्ट हो गया और गायब कर दिया गया। अगर विधायकों के साथ ऐसा हो रहा है, तो आम नागरिकों, गरीबों और आदिवासियों के साथ क्या-क्या नहीं हो सकता?
Voter list controversy: सचिन पायलट ने एआईआर को लेकर केंद्र और राज्य सरकार पर सीधी चोट की। उन्होंने कहा कि 1952 से निर्वाचन आयोग एसआईआर चला रहा है, लेकिन पहले किसी ने सवाल नहीं उठाया क्योंकि संविधान में यह स्पष्ट है कि वोटर लिस्ट तैयार करना, नाम जोड़ना-काटना और निष्पक्ष चुनाव आयोग का दायित्व है।
लेकिन अब लाखों नाम कटे, वोट चोरी हुए। राहुल गांधी ने प्रमाण सहित कई प्रेस कॉन्फ्रेंस कीं, पर आयोग ने जांच तक नहीं की। आयोग न वोटर लिस्ट देता है, न आरोपों की जांच कराता। सवाल आयोग से पूछे जाते हैं, लेकिन जवाब भाजपा के प्रवक्ता देते हैं।