राजधानी में सार्वजनिक परिवहन की तस्वीर बदलने वाली है। जनवरी से शहर की सड़कों पर 150 नई पीएम ई-बसें दौड़ती नजर आएंगी।
राजधानी में सार्वजनिक परिवहन की तस्वीर बदलने वाली है। जनवरी से शहर की सड़कों पर 150 नई पीएम ई-बसें दौड़ती नजर आएंगी। लंबे समय से बसों की कमी, भीड़ और प्रदूषण से परेशान शहरवासियों को जल्द राहत मिलेगी। इन बसों के आने से डीजल बसों पर निर्भरता भी कम होगी।
फिलहाल जयपुर में चल रही कई बसें पुरानी हो चुकी हैं और कई रूट्स पर यात्रियों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में नई ई-बसें सीधे तौर पर आम यात्रियों की सुविधा बढ़ाएंगी। इन ई-बसों को खासतौर पर शहर के ज्यादा भीड़ वाले रूट्स पर उतारा जाएगा, ताकि अधिक से अधिक यात्रियों को फायदा मिल सके। कम आवाज, बिना धुएं और बेहतर सस्पेंशन के कारण सफर पहले से ज्यादा आरामदायक होगा। रोजाना ऑफिस, स्कूल और कॉलेज जाने वालों के लिए यह बदलाव साफ तौर पर महसूस होगा।
नई बसें ग्रॉस कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट मॉडल पर चलाई जाएंगी। यानी बसें चलाने और उनकी मेंटेनेंस की जिम्मेदारी निजी कंपनी की होगी, जबकि किराया और रूट तय करने का अधिकार जेसीटीसीएल के पास रहेगा। इससे बसों की नियमितता और तकनीकी स्थिति पर बेहतर नियंत्रण रहने की उम्मीद है। फिलहाल शुरुआती दौर में संचालन की टेस्टिंग होगी और मार्च तक पूरी व्यवस्था जीसीसी मॉडल पर आ जाएगी।
पहले चरण में 75 ई-बसों को बगराना डिपो से चलाने की तैयारी पूरी हो चुकी है। यहां चार्जिंग स्टेशन और बिजली कनेक्शन का काम खत्म हो चुका है, जिससे जनवरी से संचालन शुरू होने की उम्मीद है। दूसरे चरण में 75 ई-बसें टोडी आगार से चलाने की योजना है। हालांकि यहां अभी चार्जिंग और बिजली व्यवस्था पूरी नहीं हो पाई है। इसी वजह से दूसरे चरण की बसों में थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है। अधिकारियों के मुताबिक टोडी आगार में काम तेज कर दिया गया है ताकि बसों को जल्द सड़क पर उतारा जा सके।
ई-बसों के आने से शहर के प्रदूषण स्तर पर भी असर पड़ेगा। ट्रांसपोर्ट सेक्टर से होने वाला कार्बन उत्सर्जन कम होगा और डीजल पर खर्च भी घटेगा। सरकार का फोकस अब इलेक्ट्रिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ाने पर है। इसी कड़ी में 500 और ई-बसें लाने की योजना है, जिनमें 50 डबल डेकर बसें शामिल होंगी।