Data Centers Electricity Usage: सर्वर्स से निकलने वाली अपशिष्ट गर्मी शहरों में 'हीट आइलैंड इफेक्ट' बढ़ाती है, जिससे स्थानीय तापमान चढ़ता है।
AI energy consumption: जयपुर. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ( AI ) की तेज रफ्तार ने डेटा सेंटर्स को बिजली का भूखा बना दिया है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) की रिपोर्ट IEA Energy and AI report 'एनर्जी एंड एआई' के अनुसार, 2024 में वैश्विक डेटा सेंटर्स ने 415 टेरावाट-ऑवर ( TWh ) बिजली खपत की, जो वैश्विक बिजली का 1.5% है। एआई के कारण यह खपत 2030 तक दोगुनी होकर 945 TWh पहुंच जाएगी, जितनी बिजली आज पूरा जापान इस्तेमाल करता है। AI संचालित सर्वर्स की मांग इस बढ़ोतरी की मुख्य वजह है।
IEA के कार्यकारी निदेशक फातिह बिरोल ने कहा, "AI ऊर्जा जगत की सबसे बड़ी कहानी है, लेकिन 2030 तक डेटा सेंटर्स जापान जितनी बिजली खा जाएंगे।" अमेरिका में तो डेटा सेंटर्स बिजली मांग बढ़ोतरी का आधा हिस्सा योगदान देंगे। यह बिजली ज्यादातर फॉसिल फ्यूल से आती है, जिससे कार्बन उत्सर्जन बढ़ रहा है। डेटा सेंटर्स वैश्विक CO2 उत्सर्जन का 1 प्रतिशत तक योगदान दे सकते हैं। जहां ये सेंटर्स क्लस्टर में हैं, वहां स्थानीय ग्रिड पर दबाव, प्रदूषण और गर्मी की समस्या गंभीर हो रही है।
डेटा सेंटर्स न सिर्फ बिजली गटक रहे हैं, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। IEA के अनुसार, इनकी कूलिंग के लिए भारी पानी खपत होती है। ये कई जगह सूखे क्षेत्रों में पानी की कमी पैदा कर रही है। एक मध्यम आकार का डेटा सेंटर सालाना 10 लाख घरों जितना पानी इस्तेमाल कर सकता है।
इसके अलावा, सर्वर्स से निकलने वाली अपशिष्ट गर्मी शहरों में 'हीट आइलैंड इफेक्ट' बढ़ाती है, जिससे स्थानीय तापमान चढ़ता है। बैकअप डीजल जनरेटर्स से निकलने वाले धुएं से वायु प्रदूषण बढ़ता है, जो आसपास की आबादी के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता से कार्बन उत्सर्जन बढ़ रहा है, जो जलवायु परिवर्तन को तेज कर रहा है। कई क्लस्टर क्षेत्रों में स्थानीय लोग शोर, गर्मी और प्रदूषण से परेशान हैं।
IEA की रिपोर्ट सुझाती है कि नवीकरणीय ऊर्जा (सौर, पवन) से आधी नई मांग पूरी की जा सकती है। अपशिष्ट गर्मी का पुन: उपयोग घर गर्म करने या जिला हीटिंग में किया जा सकता है, जो उत्सर्जन कम करेगा। कुशल कूलिंग तकनीक, जैसे लिक्विड कूलिंग, पानी और बिजली बचाएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि एआई खुद ऊर्जा दक्षता बढ़ा सकता है, लेकिन बिना नियोजन के डेटा सेंटर्स पर्यावरण का बोझ बन जाएंगे। सरकारों और टेक कंपनियों को मिलकर ग्रिड मजबूत करना, रिन्यूएबल्स बढ़ाना और पारदर्शिता लानी होगी। अन्यथा एआई की चमक पर्यावरण की तबाही की कीमत पर आएगी।
मुख्य तथ्य: 2030 तक डेटा सेंटर्स की बिजली खपत जापान के बराबर।
प्रभाव: बढ़ता कार्बन उत्सर्जन, पानी की कमी और स्थानीय गर्मी-प्रदूषण।