Jaipur News: तीन महीने तक घरेलू उपचार और मलहम लगाने से भी कोई राहत नहीं मिली। आखिरकार चिकित्सकों से परामर्श लेने पर पता चला कि वह क्यूटेनियस लार्वा माइग्रेंस (सीएलएम) नामक रोग से पीड़ित है।
Cutaneous Larva Migrans: गंदगी के बीच सड़क या खेतों में नंगे पैर घूमना या चप्पल उतारकर काम करना आम बात है। लेकिन यह लापरवाही अब बीमारी का कारण बन रही है। जयपुर शहर के एक निजी अस्पताल में झुंझुनूं जिले की 55 वर्षीय महिला लंबे समय से त्वचा पर लाल लहरदार लकीरों और असहनीय खुजली से जूझ रही थी।
तीन महीने तक घरेलू उपचार और मलहम लगाने से भी कोई राहत नहीं मिली। आखिरकार चिकित्सकों से परामर्श लेने पर पता चला कि वह क्यूटेनियस लार्वा माइग्रेंस (सीएलएम) नामक रोग से पीड़ित है। इसे आम भाषा में त्वचा पर रेंगने वाले कीड़े की बीमारी कहा जाता है।
त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ.दिनेश माथुर ने बताया कि यह बीमारी मुयत: उन लोगों में पाई जाती है जो नंगे पैर मिट्टी या खेतों में चलते हैं। कुत्ते और बिल्लियों की आंतों में रहने वाले कीड़े अंडे छोड़ते हैं, जो उनके मल के साथ बाहर निकलते हैं। मिट्टी में ये अंडे गर्म और गीली परिस्थितियों में फूटकर छोटे लार्वा (कीड़े) बना देते हैं। इंसान का पैर या त्वचा ऐसे दूषित स्थानों से संपर्क में आता है तो यह लार्वा त्वचा के अंदर घुसकर सांप जैसी रेखाएं बनाते हुए धीरे-धीरे रेंगता है।
त्वचा पर लाल, टेढ़ी-मेढ़ी लकीरनुमा चकत्ते, रात में असहनीय खुजली, खुजली से घाव और पपड़ी बनना और इनका लंबे समय तक ठीक नहीं होना इसके प्रमुख लक्षण हैं। लगातार खुजली से त्वचा पर पस और संक्रमण हो सकता है। कुछ मरीजों को नींद नहीं आने और बेचैनी जैसी समस्या भी होती है।
दुर्लभ मामलों में यह परजीवी शरीर के अंदर जाकर आंतों या फेफड़ों को प्रभावित कर सकता है। यह बीमारी जानलेवा नहीं है, लेकिन समय पर उपचार जरूरी है। डॉ. माथुर ने बताया कि डॉक्टर की सलाह से कुछ दिनों तक दवाओं से यह रोग पूरी तरह ठीक हो जाता है। खुजली और घावों के लिए सहायक दवाएं भी दी जाती हैं।