आइबी की सूचना पर एटीएस की कार्रवाई, अल-सुबह जोधपुर के चोखा व पीपाड़ शहर और जालोर के सांचौर में छापे मारे, मोबाइल व चंदे की रसीदें मिली
आइबी की सूचना पर राज्य के एंटी टैरेरिस्ट स्क्वॉयड (एटीएस) ने राज्य के आतंकी व संदिग्ध संगठनों से जुड़ाव व चंदा एकत्रित कर आर्थिक सहायता (फंडिंग) करने के संदेह में शुक्रवार जोधपुर में दो और जालोर के सांचौर में एक जगह दबिश देकर तीन जनों को हिरासत में लिया। इनसे कुछ मोबाइल, चंदे की रसीदें और अन्य सामग्री कब्जे में ली गई है। प्रारम्भिक पूछताछ के बाद तीनों को जयपुर ले जाया गया।
सूत्रों के अनुसार आइबी को कुछ लोगों की गतिविधियां संदिग्ध होने की सूचना मिली। जो आतंकी संगठनों को आर्थिक मदद पहुंचा रहे थे। साथ ही अन्य सहायता करने में भी लिप्त थे। इस सूचना पर एटीएस की अलग-अलग टीमों ने सुबह पांच बजे पुलिस कमिश्नरेट जोधपुर के चोखा क्षेत्र में बोम्बे आवास योजना स्थित मकान, जोधपुर ग्रामीण के पीपाड़ शहर और जालोर जिले के सांचौर के झेरडियावास में छापे मारे।
बोम्बे आवास योजना में मकान की तलाशी लेकर अयूब खान को हिरासत में लिया। उससे दो मोबाइल, चंदा एकत्रित करने संबंधी कुछ रसीदें और अन्य दस्तावेज कब्जे में लिए गए। उसे जेएनवीयू वीसी सर्कल के पास एटीएस के कार्यालय लाया गया, जहां पूछताछ के बाद एटीएस उसे अपने साथ लेकर रवाना हो गई।
एटीएस की एक अन्य टीम ने दूसरी कार्रवाई पीपाड़ शहर में की। मसूद की तलाश में पीपाड़ शहर में मकान में छापा मारा, लेकिन वो अपने ठिकाने पर नहीं मिला। संभवत: उसे कार्रवाई की भनक लग गई थी। हालांकि तलाश के बाद एटीएस ने मसूद को पकड़ लिया।
उससे भी मोबाइल व दस्तावेज कब्जे में लिए गए हैं। एटीएस की एक टीम ने जालोर के सांचौर में झेरडियावास में दबिश देकर उस्माद को हिरासत में लिया। उससे भी मोबाइल मिले हैं। पूछताछ के बाद उसे भी जयपुर ले जाया गया।
जानकारी के अनुसार अयूब व उस्मान भाई हैं। जो स्थानीय मदरसों में बतौर मौलाना बच्चों को पढ़ाते हैं। अयूब गत 10-15 साल से जोधपुर के चोखा में बोम्बे आवास योजना में रह रहा है। वो चोपासनी गांव स्थित मदरसे में बच्चों को पढ़ाता है। उधर, पीपाड़ से पकड़ में आने वाला मसूद मूलत: बाड़मेर का रहने वाला बताया जाता है।
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सूत्रों का कहना है कि तीनों व्यक्तियों के आतंकी संगठनों से जुड़े होने का संदेह है। जो आर्थिक मदद कर रहे थे। मसूद के पास चंदे की कुछ रसीदें मिली हैं। संभवत: रसीद काटकर चंदा एकत्रित किया जाता था और रुपए बाहर भेजे जाते थे।