जयपुर

Brain Stroke: बीपी-शुगर और तनाव साइलेंट किलर-हर उम्र में बढ़ा स्ट्रोक का रिस्क, लक्षण नजर आते ही तुरंत लें इलाज

एसएमएस अस्पताल जयपुर के न्यूरोलॉजी विभाग के अनुसार, वर्तमान में रोजाना 20 से 30 ब्रेन स्ट्रोक मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। महीनेभर में यह संख्या 600 से 700 तक पहुंच जाती है, जिनमें से 10 से 15 प्रतिशत मरीजों को दिमाग में रक्त जमने की स्थिति में न्यूरो सर्जरी की आवश्यकता होती है।

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Oct 29, 2025
एक दशक में ब्रेन स्ट्रोक मरीजों की संख्या लगभग दोगुनी, फोटो एआइ

जयपुर. ब्रेन स्ट्रोक के बाद इलाज में हर मिनट की देरी मरीज के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, एक मिनट की देरी से करीब 20 लाख न्यूरो सेल्स डैमेज हो जाती हैं, जिससे दिमाग पर गंभीर असर पड़ता है। यही वजह है कि समय पर इलाज न मिलने पर 5 से 10 प्रतिशत मरीजों की मौत हो जाती है। एसएमएस अस्पताल जयपुर के न्यूरोलॉजी विभाग के अनुसार, वर्तमान में रोजाना 20 से 30 ब्रेन स्ट्रोक मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। महीनेभर में यह संख्या 600 से 700 तक पहुंच जाती है, जिनमें से 10 से 15 प्रतिशत मरीजों को दिमाग में रक्त जमने की स्थिति में न्यूरो सर्जरी की आवश्यकता होती है।

विशेषज्ञ बताते हैं कि पहले अधिकतर मरीज 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के होते थे, लेकिन अब युवाओं में भी इसका खतरा तेजी से बढ़ा है। पिछले एक दशक में युवा स्ट्रोक मरीजों की संख्या लगभग दोगुनी हो चुकी है। अब कुल मरीजों में से 30 से 35 प्रतिशत युवा हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जैसे-जैसे ठंड बढ़ेगी, मरीजों की संख्या और बढ़ सकती है। समय पर इलाज मिलने से एक-तिहाई मरीज कुछ महीनों में सामान्य जीवन जीने लगते हैं, जबकि देरी होने पर कई मरीजों को व्हीलचेयर या बेड पर रहना पड़ता है।

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नियमित हैल्थ चेकअप जरूरी

एसएमएस अस्पताल के चिकित्सकों के अनुसार, अनियंत्रित ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, बढ़ता कोलेस्ट्रॉल, बिगड़ी जीवनशैली और नियमित जांचों में लापरवाही स्ट्रोक के प्रमुख कारण हैं। समय-समय पर रूटीन हेल्थ चेकअप न करवाने और शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज करने से जोखिम बढ़ जाता है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल की जांचें नियमित रूप से करवाना जरूरी है।

महिलाओं में प्रेग्नेंसी के बाद भी बढ़ रहा खतरा

विशेषज्ञ बताते हैं कि ब्रेन स्ट्रोक अब महिलाओं में भी तेजी से बढ़ रहा है। गर्भावस्था के बाद हार्मोनल बदलाव और शरीर में रक्त गाढ़ा होने जैसी स्थितियों के कारण कई महिलाओं में स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए प्रेग्नेंसी के बाद नियमित जांच और सतर्कता बेहद जरूरी है।

एक्सपर्ट व्यू: धीरे-धीरे बढ़ रही जागरूकता

हार्ट अटैक के मरीज अपेक्षाकृत जल्दी रिकवर कर लेते हैं, जबकि ब्रेन अटैक में रिकवरी कठिन होती है। जागरूकता पिछले कुछ वर्षों में भले ही लगभग 10 फीसदी बढ़ी हो, लेकिन यह अब भी काफी कम है। अच्छी बात यह है कि अब लोग झाड़-फूंक के बजाय मरीज को सीधे अस्पताल पहुंचा रहे हैं। स्ट्रोक के बाद चार से साढ़े चार घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचाना जरूरी है।। -डॉ. त्रिलोचन श्रीवास्तव, वरिष्ठ आचार्य, न्यूरोलॉजी विभाग, एसएमएस अस्पताल

Published on:
29 Oct 2025 08:50 am
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