सीएजी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि राजस्थान के 245 विभागीय खातों में 13,762 करोड़ रुपए खर्च ही नहीं हुए। 62 प्रतिशत राशि 24 खातों में फंसी रही। शिक्षा, सड़क, पुल सुधार जैसे कार्य अधूरे रह गए। 996 कार्यों के उपयोगिता प्रमाण पत्र भी लंबित हैं। पढ़ें शैलेंद्र अग्रवाल की रिपोर्ट...
जयपुर: बजट की कमी के कारण काम पूरा नहीं करने की बात करने वाले सरकारी विभाग अपने खातों में रखी हजारों करोड़ रुपए की राशि को खर्च नहीं कर पाए। इसका खुलासा नियंत्रक महालेखा परीक्षक (सीएजी) की ओर से हाल ही विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट में हुआ है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में 245 विभागीय (निजी निक्षेप या पीडी) खातों में 13,762 करोड़ रुपए ऐसे रह गए, जिनको खर्च ही नहीं किया गया। विभिन्न विभागों की ओर से खर्च नहीं की गई इस राशि से शिक्षा विभाग के 30 हजार से अधिक स्कूलों की दशा को सुधारा जा सकता था।
शिक्षा विभाग ने हाल ही में बच्चों की सुरक्षा के लिए राज्य के 63 हजार स्कूलों की स्थिति पर 25 हजार करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया था। सीएजी की 31 मार्च 2024 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के लेखों के आधार पर तैयार रिपोर्ट को बीते सप्ताह विधानसभा में रखा गया।
इसमें खुलासा किया है कि खर्च होने से रह गई कुल राशि में से 62 फीसदी से अधिक (8598.34 करोड़ रुपए) राशि तो केवल 24 खातों में ही पड़ी रह गई। ये 24 वे खाते हैं, जिनमें वित्तीय वर्ष समाप्त होने के समय 100-100 करोड़ रुपए से अधिक राशि खर्च नहीं होने से बची रह गई।
खर्च नहीं करने वालों मे पंचायत समिति और जिला परिषद से लेकर शहरी निकाय और सरकार के सीधे नियंत्रण में आने वाले विभाग तक शामिल हैं। यह राशि बची रह जाने के कारण ग्राम पंचायतों में शेष रह गई राशि का तो पता ही नहीं लगाया जा सका।
-सीएजी ने वर्ष 2023-24 की वित्तीय स्थिति को लेकर खामियों का किया खुलासा
-राशि खर्च करने में पीछे रहे कई शहरी निकाय, पंचायत समिति और विभाग
एक अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक के राज्य के वित्तीय प्रबंधन को लेकर पेश सीएजी की रिपोर्ट से यह भी खुलासा हुआ कि अधिकारियों ने 1122 करोड़ रुपए से अधिक के कार्यों के 996 उपयोगिता प्रमाण पत्र सरकार को समय रहते पेश ही नहीं किए। इससे वित्तीय प्रबंधन में कमजोरी के साथ ही वित्तीय जवाबदेही भी तय नहीं की जा सकी। इससे अधिकारियों ने निर्धारित कार्य के लिए आई राशि के खर्च के लिए नियमों की पालना नहीं करने का भी खुलासा हुआ।
सीएजी ने खुलासा किया है कि 131.06 करोड़ रुपए के गबन, चोरी और राजकोष को हानि पहुंचाने के 748 प्रकरणों में तो कार्रवाई ही समय पर नहीं की गई। इससे ये प्रकरण वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक भी लंबित थे।
कार्यालय और अनुपयोगी राशि
-राजकॉम्प में 948.40 करोड़
-भवन निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड में 945.48 करोड़
-गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम में 626.03 करोड़
-विद्युत वित्त निगम में 610.25 करोड़
-राज्य पुल, सड़क और विकास एवं निर्माण निगम में 590 करोड़
सीएजी के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में आकस्मिक खर्च के लिए स्वीकृत अग्रिम राशि के बिल भी समय पर पेश नहीं किए गए। 81.29 करोड़ रुपए के 197 बिलों को लेकर यह स्थिति सामने आई। इसमें से 64.35 करोड़ रुपए के 14 बिल तो वित्तीय वर्ष 2022-23 के थे।
पीडी खाते में जमा पैसा लैप्स तो होता नहीं है, लेकिन इसका जनता को पूरा लाभ मिले इसके लिए स्वीकृति समय पर हो और योजनाएं समय पर पूरी हों। विभागीय सचिव और वित्त सचिव दोनों ही मॉनिटरिंग बढ़ाएं। भारत सरकार भी पैसा समय पर जारी करे।
-निरंजन आर्य, पूर्व मुख्य सचिव (वित्त विभाग के एसीएस भी रहे)